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झारखंड की बालू उठा रहे ओडिशा के लीजधारक, गरीब परेशान और माफिया हो रहे मालामाल

ओडिशा के लीजधारक झारखंड की बालू उठा रहे हैं, और फिर उसी बालू को दोगुनी कीमत पर झारखंड के लोगों को ही बेट रहे हैं. इससे झारखंड को तो राजस्व का नुकसान हो ही रहा है. साथ ही गरीब परेशान और माफिया मालामाल होते जा रहे हैं.

पश्चिमी सिंहभूम के जैंतगढ़ और आसपास के इलाकों में घर बनाने के लिए बालू नहीं मिल रही है. स्थानीय लोगों को ओडिशा से दोगुनी कीमत पर बालू खरीदनी पड़ रहा है. जानकारी के मुताबिक, ओडिशा के लीजधारक झारखंड का बालू चोरी कर, वहीं के लोगों को दोगुनी कीमत पर बेच रहे हैं. बालू घाटों का बंदोबस्त नहीं होने से क्षेत्र के विकास का पहिया थम गया है. सबसे अधिक पीएम आवास और शौचालय निर्माण पेंडिंग हैं.

झारखंड में 2500-3000 प्रति ट्रैक्टर बिक रहा ओडिशा का बालू

बालू के अभाव में लाभुकों के आवास का काम पूरा नहीं हो पा रहा है. लोग घर बनाने के लिए पड़ोसी राज्य ओडिशा से दोगुनी कीमत पर बालू खरीद रहे हैं. जैंतगढ़ में प्रति ट्रैक्टर 100 सीएफटी बालू 2500- 3000 रुपये में बिक रहा है. वहीं कुछ लोग रात के अंधेरे में चोरी छिपे बालू की कालाबाजारी कर मोटी रकम बनाने में भी लगे हैं.

झारखंड का बालू उठा रहे ओडिशा के लीजधारक

कंगीरा नदी के दोनों छोर पर दो दर्जन से अधिक बालू घाट हैं, जिनमें जगन्नाथपुर प्रखंड के मंडल पंचायत में मुची गांव, खूंटियापदा, बारला, तुरली, पुट गांव व मंडल बालू घाट हैं. वहीं गुमुरिया प्रखंड में गमुरिया, कुंवा पाड़ा व पड़सा आदि बालू घाट हैं. ग्रामीणों ने बताया कि आज से 10 साल पहले झारखंड सरकार ने इन बालू घाटों की बंदोबस्ती की थी. तीन साल की लीज की अवधि समाप्त होने के बाद अब तक इन घाटों की दोबारा बंदोबस्ती नहीं की गयी है. इन घाटों के दूसरे छोर पर ओडिशा का मयूरभंज जिला स्थित है. इसी नदी पर मयूरभंज में कम से कम डेढ़ दर्जन छोटे-बड़े बालू घाट हैं. इनमें से अधिकतर घाटों की नीलामी ओडिशा सरकार ने कर दी है.

गरीब परेशान और माफिया हो रहे मालामाल

ओडिशा क्षेत्र से बालू उठाव होने पर घाट में गड्ढा होता जा रहा है. इसके बाद झारखंड क्षेत्र का बालू सरक कर ओडिशा जा रहा है. ओडिशा के लीजधारक झारखंड क्षेत्र में घुसकर भी बालू का उत्खनन कर रहे हैं. आजसू के उपाध्यक्ष गंगाधर महतो ने कहा कि राजस्व को काफी नुकसान हो रहा है. गरीब परेशान और माफिया मालामाल हो रहे हैं. जिला प्रशासन ग्रामसभा कर लाभुक समिति बनाकर विकास योजना के लिए टेंपररी लीज करवाये.

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