Tarantula Spider In Jharkhand, पश्चिमी सिंहभूम न्यूज (शैलेश सिंह) : प्राकृतिक धरोहर और जीव-जंतुओं के मामले में सारंडा काफी धनी है. वन्य प्राणियों से लेकर कई छोटे-बड़े दुर्लभ जीव-जंतु, कीड़े-मकोड़े भी यहां पाए जा चुके हैं. इसी कड़ी में एक और नया अध्याय जुड़ गया है. झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा में टैरेन्टुला समूह की अति दुर्लभ मकड़ी वन विश्रामागर, किरीबुरू व सेल के मेघालय विश्रामागर के परिसर में मिली है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में 104 साल बाद इस मकड़ी के पाए जाने की तीसरी रिपोर्ट है. यह मकड़ी कुछ दिन पहले ही जमशेदपुर में देखी गई थी, जो इसके पाए जाने की दूसरी रिपोर्ट थी. 1917 में कुल्लू में पहली बार मिली थी यह मकड़ी. भारत में केवल एक ही प्रजाति सेलेनोकोस्मिया कुल्लूएंसिस 1917 (चैंबरलिन 1917) अभी तक रिपोर्टेड है.
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देश में तीसरी एवं झारखंड में दूसरी बार मिली है. विश्वभर में मकड़ी की 32 प्रजातियां एवं 4 उपप्रजातियां हैं. अधिकतर एशिया, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया में पाई जाती हैं. भारत में अब तक एक ही प्रजाति की मकड़ी मिली थी. गूगल लेंस पर इस मकड़ी की तस्वीर देखने पर पता चला कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने इस मकड़ी को अपनी रेड लिस्ट में दर्ज की है.
आईयूसीएन ने इस मकड़ी को 3.1 रेटिंग के साथ लुप्तप्राय श्रेणी में रखा है. इसका मतलब है कि इस प्रजाति की मकडी़ को वनों से विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है. मकड़ी के पाए जाने के बाद उसे दोबारा उचित पर्यावरण में छोड़ दिया गया है. यह प्रकृति विविध प्रकार के जीव जंतु और ईश्वर की खूबसूरत कृतियों से भरापूरा है जिनकी रक्षा करना हम सभी का परम कर्तव्य है.
Posted By : Guru Swarup Mishra