Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर प्रखंड कार्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर होयोहातू पंचायत के एक पहाड़ पर बसा है कोटसोना गांव. इस गांव में अब तक पक्की सड़क तक नहीं बनी है. सड़क नहीं रहने के कारण कोई भी वाहन इस गांव तक नहीं आ सकता. मजबूरन अगर कोई बीमार हो जाए, तो ग्रामीण खटिया के सहारे अस्पताल पहुंचाते हैं. सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिला को होती है. प्रसव पीड़ा होने पर खटिया के सहारे ही अस्पताल जाने को मजबूर होती है. इस समस्या की ओर अब तक किसी का ध्यान नहीं गया है.
क्या है मामला
कोटसोना गांव की एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुआ और अचानक तबीयत बिगड़ गई. गांव जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस भी नहीं पाता था. आखिरकार, ग्रामीणों की मदद से गर्भवती महिला को खटिया में लिटा कर करीब ढाई किलोमीटर पैदल चलते हुए मुख्य सड़क तक लाया गया. इसके बाद 108 एंबुलेंस से गर्भवती महिला को एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां महिला की इलाज चल रही है.
गांव में नहीं है पक्की सड़क, ग्रामीण हैं परेशान
इस संबंध में गर्भवती महिला के पति चंपाई हेंब्रम ने बताया कि गांव में पक्की सड़क नहीं होने के कारण गर्भवती महिला और बीमार लोगों को कंधे या खटिया के सहारे इलाज के लिए मुख्य सड़क तक लाया जाता है. कहा कि जब मेरी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई, तो वह मजदूरी करने गया था. लेकिन, ग्रामीणों ने मदद करते हुए मेरी बीमार पत्नी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है. उन्होंने प्रशासन एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से कोटसोना गांव जाने के लिए 2.5 किलोमीटर पक्की सड़क बनाने का आग्राह किया है.
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जिले के अंतिम गांव होने का दंश झेल रहा
इस संबंध में पंचायत के मुखिया रघुनाथ गुंडुवा ने कहा कि कोटसोना गांव में 200 से अधिक परिवार रहते हैं. कोटसोना जिला का अंतिम गांव है. इस कारण गांव के लोगों को मूलभूत सुविधा तक नहीं मिल पा रही है. लोगों की इस समस्या को देखते हुए गांव में एक पक्की सड़क का निर्माण सरकार द्वारा कराने की मांग की है.
Posted By: Samir Ranjan.