नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2010 राष्ट्रमंडल खेलों से जुडे घोटाले के एक मामले में एमसीडी के चार अधिकारियों सहित पांच लोगों को चार चार साल जबकि एक फर्म के प्रबंध निदेशक को छह साल के कारावास की सजा सुनाई. राष्ट्रमंडल खेलों से जुडे किसी मामले में अदालत द्वारा यह पहली दोषसिद्धि है.
यह मामला राष्ट्रमंडल खेलों की स्टरीट लाइटों से जुड़ा घोटाला है जिससे सरकारी राजस्व को 1.4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. विशेष सीबीआई न्यायाधीश ब्रजेश गर्ग ने एमसीडी के अधिशासी अभियंता डीके सुगन, कार्यकारी अभियंता ओपी माहला, एकाउंटेंट राजू वी और एमसीडी के निविदा लिपिक गुरचरण सिंह तथा निजी फर्म स्वेका पावरटेक इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक जेपी सिंह को चार चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.
इन पांच दोषियों को आईपीसी के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज को असली की तरह प्रयोग करने तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (1)(डी) सहित विभिन्न अपराधों के लिए सजा सुनाई गई. अदालत ने फर्म के प्रबंध निदेशक टीपी सिंह को विभिन्न अपराधों में छह साल के कारावास की सजा सुनाई.
न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में, दोषियों के खिलाफ साबित हुए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. उन्होंने एक साथ मिलकर साजिश की और निविदा दस्तावेज में फर्जीवाडा करने के लिए एमसीडी, जीएनसीटीडी से धोखधड़ी की थी और निविदा खोलने वाले रजिस्टर में भी फर्जीवाडा किया.
अदालत ने फर्म पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने एमसीडी अधिकारियों पर 30-30 हजार रुपये के अलावा टी पी सिंह पर 42 हजार जबकि जेपी सिंह पर 22 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. सभी छह दोषियों को फैसला सुनाए जाते वक्त अदालत में पेश किया गया.
सजा पर दलीलों के दौरान सीबीआई के अभियोजक प्रनीत शर्मा ने कहा था कि दोषियों ने दिल्ली नगर निगम का 1.42 करोड़ रुपये का नुकसान किया और उन्हें सात साल की अधिकतम सजा दी जानी चाहिए. दोषियों की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने हालांकि अदालत से नरमी बरतने का अनुरोध किया था. स्टरीट लाइटिंग घोटाला अक्तूबर 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन से जुडे भ्रष्टाचार के 10 मामलों में से एक है.