जिले में खराब हुआ हवा का स्तर एक्यूआइ पहुंचा 250 के पार
सीवान.वायु प्रदूषण के मामले में सीवान सूबे की राजधानी को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में जिले का वायु प्रदूषण स्तर है.
सीवान.वायु प्रदूषण के मामले में सीवान सूबे की राजधानी को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में जिले का वायु प्रदूषण स्तर है. धूलकण व डीजल और पेट्रोल गाड़ियों से निकल रहा धुआं पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है. इस तरह की स्थिति ठंड के दिनों में थी.फरवरी व मार्च माह में वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य था.इधर अप्रैल जिला का एक्यूआइ बढ़ गया है.सोमवार को जिला का एयर क्वालिटी 266 रिकार्ड किया गया. वायु प्रदूषण की समस्या जिले के लिए नासूर बनती जा रही है.चिकित्सकों का मानना है कि प्रदूषण से मानव फेफड़े प्रभावित हो रहे है. चिकित्सक डॉ संजय गिरी के मुताबिक दूषित हवा के चलते कई खतरनाक कण हवा में घुल जाते है.सांस लेने के दौरान यह कण फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. इन खतरनाक कणों से फेफड़ों को काफी नुकसान होता है. इसकी वजह से फेफड़ों के साथ हार्ट डैमेज होने का खतरा रहता है.दमा व सांस संबंधी बीमारियों के लिए वायु प्रदूषण जानलेवा हो सकता है. पेड़ों की कटाई से बढ़ रहा प्रदूषण पर्यावरण विशेषज्ञ ब्रजकिशोर यादव का मानना है कि पेड़ों की तेजी से हो रही कटान और नए पौधों का रोपण न होने से भूमंडल में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है. हवा में घुले इस जहर से गंभीर बीमारियां भी तेजी से पांव पसार रही है. हर दस में नौ लोग दूषित हवा में सांस ले रहे है. बढ़ रहा वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जिले में वायु प्रदूषण के जो हालात है, वह निश्चित तौर पर स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. वायु प्रदूषित होने से लोगों को फेफड़े की बीमारी होने का डर रहता है. अस्थमा होने का चांस बना रहता है. दूषित हवा से सांस संबंधी तमाम बीमारी होने का डर होता है. हालांकि इसको लेकर जिलावासी काफी सक्रिय हैं. उनका कहना है कि सरकार को वायु प्रदूषण रोकने के लिए कड़े से कड़े कदम उठाना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि शहर सहित ग्रामीण सड़कों पर पड़ी धूलकण की परत प्रदूषण का मुख्य कारण है. अगर सड़कों से धूल की परत हटा ली जाए और बालू ढुलाई सही तरीके से की जाए तो प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है.