अपनी करतूतों के कारण पाकिस्तान में दम तोड़ रहा है क्रिकेट

।। अनुज कुमार सिन्हा ।। रविवार को चैंपियंस ट्रॉफी के मैच में जब भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह (124 रन से) हराया, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ. अगर शुरुआत के कुछ ओवर की बात को छोड़ दें, तो पूरे मैच में पाकिस्तान की टीम पस्त नजर आयी. एक थकी-हारी टीम. वह तेवर भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2017 8:32 AM

।। अनुज कुमार सिन्हा ।।

रविवार को चैंपियंस ट्रॉफी के मैच में जब भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह (124 रन से) हराया, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ. अगर शुरुआत के कुछ ओवर की बात को छोड़ दें, तो पूरे मैच में पाकिस्तान की टीम पस्त नजर आयी. एक थकी-हारी टीम. वह तेवर भी नहीं दिख रहा था, जो पाकिस्तान के खिलाड़ी भारत के खिलाफ दिखाने का दम भरते थे. इस बार सब कुछ बदला-बदला नजर आ रहा था.

दरअसल मैच आरंभ होने के पहले ही पाकिस्तान की टीम मानसिक तौर पर मैच हार चुकी थी. यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि अपनी करतूतों के कारण पाकिस्तान में क्रिकेट दम तोड़ने की स्थिति में है. इस हालात के लिए कोई और नहीं, खुद पाकिस्तान दोषी है. आज वहां के जो हालात हैं, दुनिया की कोई भी टीम पाकिस्तान का दौरा करना नहीं चाहती. जान जोखिम में लेकर वहां कौन खेलने जायेगा.

जिस देश (पाकिस्तान) में 2008-09 के बाद कोई बढ़िया टीम (जिंबाब्वे अपवाद है, जिसके खिलाड़ियों ने 2015 में पाकिस्तान का दौरा किया था) क्रिकेट खेलने नहीं गयी हो, वहां यही हाल होना था. बोर्ड की हालत खराब. पाकिस्तान में जो भी क्रिकेट खिलाड़ी कुछ बेहतर कर पा रहे हैं, वह बाहर खेलने के कारण ही.

ठीक इसके विपरीत भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा हुआ. वर्ल्ड क्रिकेट में बीसीसीआइ का दबदबा. कोई भी बड़ा टूर्नामेंट भारत के बगैर सफल नहीं होता. यह है भारत की ताकत. आइपीएल का जलवा. दुनिया के खिलाड़ी आइपीएल में खेलने के लिए आतुर होते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें पैसा है. इसी आइपीएल ने भारत में क्रिकेट के स्तर को काफी ऊंचा कर दिया है. खिलाड़ियों की कमी नहीं.

गली-गली में क्रिकेट खेला जा रहा है. इतनी प्रतिभाएं निकल रही हैं कि बोर्ड संकट में है-किसे मौका दिया जाये, किसे नहीं. एक खिलाड़ी चोटिल होने के कारण नहीं खेल पाया, तो उसकी जगह पर आया दूसरा खिलाड़ी इतना बेहतर खेल लेता है कि बोर्ड टीम प्रबंधन का दिमाग काम नहीं करता कि किसे रखें, किसे नहीं. भारतीय टीम का मनोबल-आत्मविश्वास दिखा रविवार के मैच में. टॉस हारा कोहली ने लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. दोनों ओपनर (रोहित-धवन) ने थोड़ी धीमी, लेकिन 136 रन की ठोस शुरुआत की.

रोहित को अफसोस जरूर होगा कि उसने शतक (91 पर रन आउट) नहीं जमाया. धवन की ठोस पारी के बाद कोहली ने जिस तरीके से बल्लेबाजी दिखायी, पाकिस्तान के गेंदबाजों को धोया, वह शुभ संकेत है. कोहली का असली फॉर्म दिखा 50 रन बनाने के बाद. उधर युवराज सिंह पुराने लय में दिखे. एक छोटी, लेकिन ठोस पारी (सिर्फ छह गेंद पर 20 रन, तीन छक्के) से पांड्या ने बताया कि थोड़ा अनुभव हो जाये, तो यह खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए एसेट बन सकता है. गेंदबाजी में भी प्रभावी. भारतीय टीम को एक शानदार ऑलराउंडर मिला है.

कोहली का पांड्या पर इतना भरोसा था कि उन्होंने धौनी के पहले पांड्या को भेजा और पांड्या ने अपना काम कर दिया. 48 ओवर में 319 रन का भारत का स्कोर टीम की ताकत को बताता है. पूरी योजनाबद्ध तरीके से खेली गयी पारी. इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान के पास अच्छे तेज गेंदबाज हैं, लेकिन उनकी नहीं चली, खूब धुनाई हुई. वहाब की खास तौर पर. घटिया फील्डिंग ने पाकिस्तान की परेशानी और बढ़ा दी.

इतने बड़े स्कोर के बाद पाकिस्तान की टीम टूट गयी थी. बल्लेबाजों में सिर्फ अजहर अली ही चले, 50 रन बनाये. भारतीय गेंदबाजों ने पाकिस्तान को बांधे रखा, दबाव बनाया और इसी दबाव में पाक की टीम बिखर गयी. बुरी तरह हारी. भारत के लिए गौरव का क्षण. फिर हराया पाकिस्तान को. दरअसल पाकिस्तान को हराने में जो मजा भारत को मिलता है, वह किसी और टीम को हराने पर नहीं मिलता.

खिलाड़ी हों या दर्शक, सभी अलग मूड में दिखते हैं. इस बार भी यही दिखा. हां, भारत के लिए फील्डिंग चिंता की बात रही. पाकिस्तान की फील्डिंग तो घटिया थी ही, भारत भी पीछे नहीं रहा. ऐसी फील्डिंग पाकिस्तान के खिलाफ तो चल गयी, लेकिन भारत को आगे श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के साथ खेलना है. वहां ऐसी गलती करेंगे, तो टीम फंस सकती है. जिस फॉर्म और जज्बे में टीम इंडिया दिख रही है, अगर यही फॉर्म बनाये रखा, तो सामने कोई भी टीम हो, चिंता की बात नहीं होगी.

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