नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर से कहा कि वह अपने खिलाफ शुरू की गयी अवमानना की कार्यवाही में राहत पाने के लिए ‘बिना शर्त, बिना सवाल’ और ‘स्पष्ट’ रूप से माफी मांगें. न्यायालय ने उन्हें निर्देश दिया कि वह माफी मांगते हुए ‘एक पेज का संक्षिप्त हलफनामा’ दायर करें और साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि वह पूर्व में माफी के लिए दिये गये उनके हलफनामे पर विचार नहीं करने जा रहा.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ की एक खंडपीठ ने कहा कि वह ठाकुर द्वारा पूर्व में माफी के लिए दिये गये हलफनामे पर विचार नहीं करने जा रही है और उनसे बिना शर्त माफी मांगते हुए ‘एक पेज का संक्षिप्त हलफनामा’ दाखिल करना होगा. पीठ ने कहा, ‘हम आपको एक और मौका देंगे. हम सुझाव देते हैं कि आप गलत जानकारी या गलत संवाद जो भी हुआ उसके लिए एक पेज का हलफनामा दें जिसमें स्पष्ट भाषा में यह हो कि इसके लिए आप बिना सवाल और बिना शर्त माफी मांगते हैं.’
न्यायालय ने ठाकुर से कहा कि वह 14 जुलाई को माफी मांगने के लिए अदालत में खुद मौजूद रहें. पीठ ने संकेत दिये कि वह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से भाजपा सांसद ठाकुर की माफी स्वीकार कर अवमानना की कार्यवाही को बंद करना चाहती है. ठाकुर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि यद्यपि उनके मुवक्किल बिना शर्त माफी मांगना चाहते हैं, मेरिट के आधार पर उनका काफी मजबूत पक्ष है जिससे यह साबित हो सकता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया.
पटवालिया ने कहा, ‘मैं बिना शर्त माफी मांगने के लिए तैयार हूं. मैं पहले ही ऐसा कर चुका हूं. समस्या यह है कि यह धारणा नहीं बननी चाहिए कि मैंने कुछ गलत किया.’ न्याय मित्र के तौर पर न्यायालय की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने इस मामले में कहा कि अगर न्यायालय ठाकुर को माफी देने में उदार हैं तब उन्हें कुछ नहीं कहना, लेकिन माफी बिना शर्त और स्पष्ट होनी चाहिए. पीठ ने हालांकि कहा कि वह इस मामले के गुण दोष पर नहीं जायेगी. न्यायालय ने बीसीसीआउ की स्वायत्तता के मुद्दे पर आइसीसी को लिखने को लेकर गलत हलफनामा देने पर इस साल दो जनवरी को ठाकुर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी.