नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड की हाल ही में संपन्न विशेष आमसभा में राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के नामित प्रतिनिधि के रूप में बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और पूर्व सचिव निरंजन शाह के शामिल होने का मामला शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट की जांच के दायरे में आ गया. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय पीठ ने इस मुद्दे पर दोनों से जवाब मांगते हुए कहा कि अयोग्य घोषित किया गया कोई भी सदस्य मनोनीत सदस्य के रूप में भी इस तरह की बैठक में शामिल नहीं हो सकता है. पीठ ने श्रीनिवासन और शाह को नोटिस जारी किये और इस मामले को 24 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
इस बीच, पूर्व सीएजी विनोद राय की अध्यक्षतावाली प्रशासकों की समिति ने अपनी चौथी स्थिति रिपोर्ट के साथ हाल ही में संपन्न विशेष आम सभा की एक सीडी संलग्न की और कहा कि श्रीनिवासन और शाह शीर्ष अदालत के आदेश की वजह से किसी भी पद पर रहने के अयोग्य हैं और वे राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के मनोनीत सदस्य के रूप में विशेष आमसभा में शामिल नहीं हो सकते हैं. पीठ ने कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर इस मामले पर फैसला करेगी और उसने प्रशासकों की समिति की रिपोर्ट में उठायी गयी आपत्तियों पर श्रीनिवासन और शाह का जवाब मांगा है.
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही बीसीसीआई के एक अन्य पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के व्यक्तिगत रूप से पेश होने के बाद उनके खिलाफ लंबित अवमानना के मामले में उनकी बिना शर्त माफी स्वीकार कर ली. न्यायालय ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही भी समाप्त कर दी. न्यायालय ने इस प्रशासकों की समिति से राम चंद्र गुहा और विक्रम लिमये के त्याग पत्र स्वीकार करते हुए उन्हें उनकी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया. इन दोनों ने बीसीसीआइ के प्रशासक के रूप में काम करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए त्याग पत्र दे दिया था.