नयी दिल्ली : टीम इंडिया इस समय श्रीलंका दौरे पर है. टेस्ट सीरीज में जोरदार जीत के बाद अब वनडे श्रृंखला में भी विराट सेना ने जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की है.
कप्तान विराट कोहली और मुख्य कोच रवि शास्त्री के लिए बड़ी खुशी की बात है कि उनके खिलाड़ी इस समय टॉप फॉर्म में चल रहे हैं. सलामी बल्लेबाज शिखर धवन अपने कैरियर के सबसे अच्छे दौर से गुजर रहे हैं. उनका बल्ला रन नहीं ‘शोले’ बरसा रहा है. टेस्ट में उन्होंने तीन शतक तो बनाया ही, अब पहले वनडे में तूफानी शतक जड़ कर अपना इरादा साफ कर दिया है कि वो अब रुकने वाले नहीं हैं.
लेकिन इस बीच टीम इंडिया के लिए घबराने वाली खबर है. खबर है कि जब कप्तान और कोच 2019 विश्वकप को लेकर खिलाडियों के प्रदर्शन पर नजर जमाये हुए हैं, उसी समय टीम इंडिया के सीनियर खिलाडियों पर टीम से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है.
वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया के लिए बड़ी दुखद खबर हो सकती है. फिटनेस के कारण युवराज सिंह और सुरेश रैना पहले ही श्रीलंका दौरे से बाहर हो चुके हैं. अब धौनी,रोहित शर्मा जैसे खिलाडियों पर भी फिटनेस में फेल होने का खतरा तंडराने लगा है.
युवराज सिंह और सुरेश रैना का श्रीलंका के खिलाफ सीमित ओवरों की श्रृंखला में नहीं चुने जाने का मुख्य कारण इन दोनों का राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में ‘यो-यो ‘ दमखम परीक्षण में नाकाम रहना रहा.
भारतीय टीम नियमित तौर पर कई तरह के फिटनेस परीक्षण से गुजरती है और इनमें ‘यो-यो ‘ दमखम परीक्षण सबसे महत्वपूर्ण है. पुरानी पीढ़ी जिस तरह के परीक्षण से गुजरती थी यह उसकी तुलना में बेहतर ‘बीप ‘ टेस्ट है. वर्तमान भारतीय टीम को अभी तक की सबसे फिट टीम माना जाता है. यह पता चला है कि वर्तमान टीम के लिये ‘यो-यो ‘ स्कोर 19.5 या उससे अधिक स्वीकार्य है.
भारत के सबसे फिट क्रिकेटर कप्तान विराट कोहली इस परीक्षण में लगभग 21 का स्कोर बना देते हैं. युवराज और रैना ने हालांकि इस परीक्षण में 19.5 से काफी कम स्कोर बनाया. युवराज केवल 16 का स्कोर ही बना पाये जो कि उनके टीम से बाहर होने का मुख्य कारण रहा.
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, वर्तमान थिंक टैंक, कोच रवि शास्त्री, कप्तान विराट कोहली और चयन समिति के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद ने साफ किया है कि फिटनेस के स्तर से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
* क्या है ‘यो-यो ‘ परीक्षण
कई ‘कोन ‘ की मदद से 20 मीटर की दूरी पर दो पंक्तियां बनायी जाती हैं. एक खिलाड़ी रेखा के पीछे अपना पांव रखकर शुरुआत करता है और निर्देश मिलते ही दौड़ना शुरू करता है. खिलाड़ी लगातार दो लाइनों के बीच दौड़ता है और जब बीप बजती है तो उसने मुड़ना होता है. प्रत्येक एक मिनट या इसी तरह से तेजी बढ़ती जाती है. अगर समय पर रेखा तक नहीं पहुंचे तो दो और ‘बीप ‘ के अंतर्गत तेजी पकड़नी पड़ती है. अगर खिलाड़ी दो छोरों पर तेजी हासिल नहीं कर पाता है तो परीक्षण रोक दिया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया साफ्टवेयर पर आधारित है जिसमें परिणाम रिकार्ड किये जाते हैं.