विदाई मैच में धौनी और कोहली ने नेहरा ”जी” को भेंट किया खास ट्रॉफी
नयी दिल्ली : अपने घरेलू मैदान पर अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे आशीष नेहरा को आज यहां न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 मैच से पहले पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और वर्तमान कप्तान विराट कोहली ने विशेष रुप से तैयार की गयी ट्रॉफी देकर सम्मानित किया. भारतीय टीम टॉस से पहले मैदान पर अपने चिर […]
नयी दिल्ली : अपने घरेलू मैदान पर अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे आशीष नेहरा को आज यहां न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 मैच से पहले पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और वर्तमान कप्तान विराट कोहली ने विशेष रुप से तैयार की गयी ट्रॉफी देकर सम्मानित किया.
भारतीय टीम टॉस से पहले मैदान पर अपने चिर परिचित घेरे में एक साथ खड़ी हुई जहां पर नेहरा ने अपने सभी साथियों का आभार व्यक्त किया. इसके बाद धौनी और कोहली ने मिलकर उन्हें ट्रॉफी भेंट की जिसे नेहरा ने मुस्कराते हुए ग्रहण किया.
यही नहीं इस मैच के लिये अंबेडकर स्टेडियम वाले छोर को विशेष तौर पर आशीष नेहरा छोर नाम दिया गया है. इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच के दौरान भी दोनों छोर का नामकरण वीरेंद्र सहवाग की टेस्ट क्रिकेट में दो सर्वश्रेष्ठ पारियों के आधार पर 309 छोर और 319 छोर नाम दिया गया था.
नेहरा ने जब अपना पहला टेस्ट मैच खेला था तब कोहली केवल 11 साल के थे. बाद में नेहरा की कोहली को ट्रॉफी देते हुए एक फोटो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था, आज कोहली उनके कप्तान हैं. नेहरा ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में किया था. इसके बाद वह सौरव गांगुली, राहुल द्रविड, महेंद्र सिंह धौनी, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, कोहली और यहां तक कि पाकिस्तान के इंजमाम उल हक की कप्तानी में भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेले.
नेहरा पहले ही घोषित कर चुके थे कि वह फिरोजशाह कोटला में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलेंगे. इस मैदान पर यह पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच है लेकिन नेहरा इससे पहले यहां चार एकदिवसीय मैच खेल चुके हैं जिनमें उन्होंने 42.25 की औसत से चार विकेट लिये.
कोटला में नेहरा ने अपना पहला एकदिवसीय मैच 17 अप्रैल 2005 को पाकिस्तान के खिलाफ खेला था जिसमें उन्होंने 72 रन देकर तीन विकेट लिये थे. इस मैदान पर उनका इससे पहले आखिरी मैच विश्व कप 2011 में नीदरलैंड के खिलाफ था.
यह भी संयोग है कि नेहरा टी20 मैच से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि जब नेहरा ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला था उसके चार साल बाद खेल का यह सबसे छोटा प्रारुप अस्तित्व में आया था. नेहरा ने इस मैच के लिये विशेष तौर पर बाक्स देने का आग्रह किया था जिसे स्वीकार कर लिया गया था ताकि वह अपने परिजनों के सामने अपना आखिरी मैच खेल सकें.