मैं भाग्यशाली रहा, चोटों के बावजूद 19 साल खेला : नेहरा
नयी दिल्ली : उन्होंने 24 साल की उम्र में अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला और छह साल पहले आखिरी वनडे लेकिन कल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले आशीष नेहरा दिल में कुछ मलाल होने के बावजूद खुद को भाग्यशाली मानते हैं जो उनका करियर लगभग 19 साल तक खिंचा. नेहरा ने कल न्यूजीलैंड के […]
नयी दिल्ली : उन्होंने 24 साल की उम्र में अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला और छह साल पहले आखिरी वनडे लेकिन कल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले आशीष नेहरा दिल में कुछ मलाल होने के बावजूद खुद को भाग्यशाली मानते हैं जो उनका करियर लगभग 19 साल तक खिंचा. नेहरा ने कल न्यूजीलैंड के खिलाफ फिरोजशाह कोटला में पहले टी20 मैच के रुप में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर इस खेल का अलविदा कहा. इसके बाद जब वह संवाददाता सम्मेलन में आये तो उन्होंने अपने करियर और भविष्य को लेकर बेबाक बातचीत की. भारत की तरफ से लगभग 19 साल के करियर में 17 टेस्ट, 120 वनडे और 27 टी20 मैच खेलने वाले नेहरा ने कहा, निश्चित तौर पर कुछ मलाल हैं लेकिन मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि इतनी अधिक चोटों के बावजूद मेरा करियर इतना लंबा खिंचा.
आंकड़े भले कुछ और कहानी कहते हों क्योंकि मैंने अपना अंतिम टेस्ट 2004 में खेला था जब मैं 24 25 साल का था. उन्होंने कहा, लेकिन टीम प्रबंधन चाहता था कि मैं क्रिकेट खेलता रहूं और इसलिए वे छह महीने पहले वे मुझे चैंपियंस ट्राफी की टीम में चाहते थे. मैं हैमस्ट्रिंग खिंचने के कारण नहीं खेल पाया. मेरे लिए टीम में शामिल 15 व्यक्ति महत्वपूर्ण है और अगर वे कहते हैं कि वे चाहते हैं कि मैं खेलता रहूं तो यह महत्वपूर्ण है. भारतीय क्रिकेट में कई दिग्गज खिलाड़ियों को अपना विदाई मैच खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन नेहरा ने लगभग 40 हजार दर्शकों के सामने क्रिकेट को अलविदा कहा. उन्होंने इसे अपने लिए सुखद क्षण बताया कि उन्हें अपने घरेलू मैदान फिरोजशाह कोटला में आखिरी मैच खेलने का मौका मिला. उन्होंने कहा, इससे अच्छा क्या हो सकता है कि आप जिस मैदान पर हमेशा खेलना चाहते हो उस पर अपना आखिरी मैच खेलकर संन्यास लो. यह निश्चित तौर पर भाग्यशाली मौका था.
मुझसे पहले भी कहा गया था कि आप छह महीने या 12 महीने और खेल सकते थे लेकिन मुझे लगता है कि जब आप चरम पर होते हो तब अलविदा कहना बेहतर है. श्रीलंका के खिलाफ फरवरी 1999 में टेस्ट क्रिकेट के जरिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले नेहरा ने कहा, मैंने लगभग 19 साल पहले पदार्पण किया था और अब मैं 38 साल में संन्यास ले रहा हूं. यह भावुक क्षण है क्योंकि अब मैं वह नहीं करुंगा जो पिछले 19 साल से कर रहा था. यहां तक जो खिलाड़ी अभी खेल रहे हैं वे भी जानते हैं क्रिकेट के बाद भी जिंदगी है. वे भी हमेशा नहीं खेलेंगे.
एक दिन उन्हें भी संन्यास लेना है. नेहरा का करियर चोटों के कारण उतार चढाव वाला रहा जिसका उन्हें खेद भी है. उन्होंने कहा, मैं एक साधारण इंसान हूं और मैं जहां हूं वहां बहुत खुश हूं. मैं आंकड़ों पर ज्यादा विश्वास नहीं करता. फिर भी कुछ मलाल हैं जैसे कि चोटों से जूझना लेकिन यह सचाई है. यहां तक कि सचिन तेंदुलकर भी सोचते होंगे कि मैं 5000 रन और बना सकता था. नेहरा ने कहा, महेंद्र सिंह धौनी और गैरी कर्स्टन 2009 में चाहते थे कि मैं टेस्ट क्रिकेट में खेलूं लेकिन मैंने साफ किया पहले मुझे 2011 का विश्व कप खेलने दो और फिर फैसला करुंगा. अब मैं अपने अनुभव को युवा तेज गेंदबाजों में बांट सकता हूं.
इस तेज गेंदबाज ने कहा कि वह विश्व कप 2011 के बाद वनडे टीम में चयन नहीं किये जाने के टीम प्रबंधन के फैसले से वह नाखुश नहीं हैं लेकिन इस दौरान वह अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे. उन्होंने कहा, मैं ऐसा व्यक्ति रहा हूं जो टीम प्रबंधन के फैसलों पर कभी सवाल नहीं उठाता. अगर वे मेरा चयन नहीं करते तो यह उनका फैसला है. मैंने कड़ी मेहनत जारी रखी क्योंकि कहते हैं कि किसी की मेहनत कभी खराब नहीं जाती. यही खेद है कि इन तीन चार वर्षों में मैं देश के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सकता था. मैं अच्छा खेल रहा था और आईपीएल में बेहतर प्रदर्शन कर रहा था. नेहरा ने कहा कि उन्होंने संन्यास के फैसले से चयनसमिति को अवगत नहीं कराया और केवल टीम प्रबंधन को इसकी सूचना दी.
उन्होंने कहा, मेरी चयनसमिति के अध्यक्ष (एमएसके प्रसाद) से कोई बात नहीं हुई. मैं टीम प्रबंधन को रांची में अपने फैसले के बारे में बता दिया था. जब मैंने विराट से बात की तो उसने कहा कि क्या मैं सुनिश्चित हूं. उसने सुझाव दिया कि मैं आईपीएल में खेल सकता हूं. नेहरा ने कहा, सौभाग्य से यह मैच दिल्ली में था. मैंने किसी तरह के विदाई मैच की मांग नहीं की थी. मैंने चयनकर्ताओं से संन्यास के बारे में बात नहीं की. जब मैंने खेलना शुरु किया था तो चयनकर्ताओं को पूछकर नहीं किया था. उन्होंने हालांकि कहा कि अगर विश्व कप छह महीने बाद होता तो वह संन्यास के अपने फैसले पर पुनर्विचार करते. नेहरा ने कहा, पिछले दो वर्षों में मैं और जसप्रीत बुमराह लगातार खेल रहे थे. भुवनेश्वर कुमार अंदर बाहर हो रहा था. लेकिन आईपीएल के बाद मुझे खुद लगा कि यह अच्छा नहीं है कि मैं खेलूं और भुवी बाहर बैठा रहे. अगर पांच या छह महीने में विश्व कप होता या मेरी दो साल तक खेलने की योजना होती तो मैंने वह स्थान हासिल कर लिया था. उन्होंने कहा, यहां तक कि आज भी लोगों को लग रहा था कि आशीष नेहरा को अंतिम एकादश में शामिल किया जायेगा या नहीं. अगर मैं यहां आया था तो खेलने के लिए आया था. मैं यहां घूमने के लिये नहीं आया था.
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने मैच में नेहरा को आखिरी ओवर दिया और इस तेज गेंदबाज ने स्वीकार किया कि तब वह काफी भावुक हो गये थे. उन्होंने कहा, यह वास्तव में भावनात्मक क्षण था. विराट कोहली चाहता था कि मैं आखिरी ओवर करुं. यह 15वें 16वें ओवर की बात है और मैच तब तक लगभग खत्म हो चुका था. मुझे याद है जब मैंने उसी छोर से 1997 में अपना सबसे पहला ओवर किया था. तब अजय शर्मा कप्तान थे और मिडआफ पर खडे थे.
पता नहीं कि ये बीस साल कैसे बीते. नेहरा ने कहा कि अपने करियर के दौरान उनके लिए कई यादगार क्षण आये और वह किसी एक प्रदर्शन को सर्वश्रेष्ठ नहीं कह सकते. उन्होंने कहा, हर मैच यादगार रहा। मैंने इंग्लैंड के खिलाफ छह विकेट लिये और हम जीते. मैंने श्रीलंका के खिलाफ इंडियन आयल कप में छह विकेट लिए लेकिन हम हार गये. इसलिए इन छह विकेट का कोई मतलब नहीं रहा। अगर टीम नहीं जीतती है तो भले ही आप अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हों लेकिन आखिर में यह टीम गेम है.