नयी दिल्ली : टीम इंडिया के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने 1 नवंबर को न्यूजीलैंड के खिलाफ फिरोजशाह कोटला में पहले टी20 मैच में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलकर इस खेल का अलविदा कहा. भारत की तरफ से लगभग 19 साल के करियर में 17 टेस्ट, 120 वनडे और 27 टी20 मैच खेलने वाले नेहरा ने कहा, निश्चित तौर पर कुछ मलाल हैं लेकिन मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि इतनी अधिक चोटों के बावजूद मेरा करियर इतना लंबा खिंचा.
टीम इंडिया ने भी मैच जीतकर अपने इस तेज गेंदबाज को ग्रैंड विदाई दी. भारत ने 10 साल के बाद इस फॉर्मेट में न्यूजीलैंड को हराया. टी-20 में पिछले पांच साल में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत एक भी मैच नहीं जीत पाया था. नेहरा के विदाई मैच को इस कारण से भी याद रखा जाएगा. बहराहाल नेहरा ने मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और अपने कैरियर के बारे में कई यादगार पल को लोगों से साझा. उन्होंने उस दौरान कई राज भी खोले. उन्होंने बताया कि टीम इंडिया के एक खिलाड़ी के कारण उन्होंने वक्त से पहले क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बना लिया.
उन्होंने खुलासा करते हुए बताया, पिछले दो वर्षों में मैं और जसप्रीत बुमराह लगातार खेल रहे थे. भुवनेश्वर कुमार अंदर बाहर हो रहा था. लेकिन आईपीएल के बाद मुझे खुद लगा कि यह अच्छा नहीं है कि मैं खेलूं और भुवी बाहर बैठा रहे. अगर पांच या छह महीने में विश्व कप होता या मेरी दो साल तक खेलने की योजना होती तो मैंने वह स्थान हासिल कर लिया था. उन्होंने कहा, यहां तक कि आज भी लोगों को लग रहा था कि आशीष नेहरा को अंतिम एकादश में शामिल किया जाएगा या नहीं. अगर मैं यहां आया था तो खेलने के लिये आया था. मैं यहां घूमने के लिये नहीं आया था.
* संन्यास का रांची से है खास कनेक्शन
नेहरा ने कहा कि उन्होंने संन्यास के फैसले से चयनसमिति को अवगत नहीं कराया और केवल टीम प्रबंधन को इसकी सूचना दी. उन्होंने कहा, मेरी चयनसमिति के अध्यक्ष (एमएसके प्रसाद) से कोई बात नहीं हुई. मैं टीम प्रबंधन को रांची में अपने फैसले के बारे में बता दिया था. जब मैंने विराट से बात की तो उसने कहा कि क्या मैं सुनिश्चित हूं. उसने सुझाव दिया कि मैं आईपीएल में खेल सकता हूं.
नेहरा ने कहा, सौभाग्य से यह मैच दिल्ली में था. मैंने किसी तरह के विदाई मैच की मांग नहीं की थी. मैंने चयनकर्ताओं से संन्यास के बारे में बात नहीं की. जब मैंने खेलना शुरू किया था तो चयनकर्ताओं को पूछकर नहीं किया था. उन्होंने हालांकि कहा कि अगर विश्व कप छह महीने बाद होता तो वह संन्यास के अपने फैसले पर पुनर्विचार करते.
* धौनी चाहते थे नेहरा खेलते रहे टेस्ट क्रिकेट
नेहरा ने कहा, महेंद्र सिंह धौनी और गैरी कर्स्टन 2009 में चाहते थे कि मैं टेस्ट क्रिकेट में खेलूं लेकिन मैंने साफ किया पहले मुझे 2011 का विश्व कप खेलने दो और फिर फैसला करुंगा. अब मैं अपने अनुभव को युवा तेज गेंदबाजों में बांट सकता हूं. इस तेज गेंदबाज ने कहा कि वह विश्व कप 2011 के बाद वनडे टीम में चयन नहीं किये जाने के टीम प्रबंधन के फैसले से वह नाखुश नहीं हैं लेकिन इस दौरान वह अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे.
उन्होंने कहा, मैं ऐसा व्यक्ति रहा हूं जो टीम प्रबंधन के फैसलों पर कभी सवाल नहीं उठाता. अगर वे मेरा चयन नहीं करते तो यह उनका फैसला है. मैंने कड़ी मेहनत जारी रखी क्योंकि कहते हैं कि किसी की मेहनत कभी खराब नहीं जाती. यही खेद है कि इन तीन चार वर्षों में मैं देश के लिये अच्छा प्रदर्शन कर सकता था. मैं अच्छा खेल रहा था और आईपीएल में बेहतर प्रदर्शन कर रहा था.