नयी दिल्ली : महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि भारत के सभी अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में शामिल किया जाए.
स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के दौरान खिलाड़ियों की मुश्किलों पर बात करते हुए तेंदुलकर ने अपने पत्र में हाकी ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता मोहम्मद शाहिद के अंतिम दिनों का उदाहरण दिया है. तेंदुलकर ने 24 अक्तूबर को मोदी को पत्र में लिखा, मैं संबंधित खिलाड़ी के रुप में अपने देश के सभी खिलाड़ियों की ओर से लिखते हुए आपसे आग्रह करता हूं कि आप हस्तक्षेप करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को सीजीएचएस सुविधाओं के पात्र खिलाड़ियों की सूची में शामिल करें. सीजीएचएस सुविधाओं का फायदा केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलता है जो इससे जुड़े मेडिकल केंद्रों पर उपचार करा सकते हैं.
तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री मोदी को सूचित किया कि वे इस मुद्दे को इससे पहले खेल मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों के साथ उठा चुके हैं. तेंदुलकर ने लिखा, उन्होंने (स्वास्थ्य मंत्रालय ने) इस विचार का समर्थन किया है लेकिन 14 सितंबर को अपने जवाब में सीजीएचएस योजना के तहत विस्तृत रुप से खिलाड़ियों पर विचार करने में अक्षमता जताई है.
अपने शुरुआती आग्रह के आधार पर मैं उनकी पूरी तरह से सराहना करता हूं और उनकी स्थिति समझ सकता हूं. इस दिग्गज बल्लेबाज ने प्रधानमंत्री से पायलटापरीक्षण योजना के तहत कम से कम अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं (गैर सरकारी कर्मचारी) के नाम पर विचार करने को कहा है जिसकी लागताफायदों का खेल मंत्रालय आकलन कर सकता है.
तेंदुलकर ने लिखा, एक बार लागताफायदों के आकलन के बाद इन्हें चरणबद्ध रुप से खिलाड़ियों के अतिरिक्त वर्गों को दिया जा सकता है, पायलट कार्यक्रम की उपयोगिता के स्वास्थ्य मंत्रालय के आकलन करने के बाद. तेंदुलकर ने दिवंगत शाहिद का हवाला दिया जिन्हें अपने अंतिम दिनों में ही मदद मिल सकी. यकृत से जुड़ी बीमारी के कारण शाहिद का निधन हुआ.
उन्होंने कहा, सभी खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाती, इसलिए अगर हम अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं के सीमित पूल पर भी विचार करते हैं तो अपने महान हाकी खिलाड़ियों में से एक मोहम्मद शाहिद के प्रति उदासीनता जैसी घटनाओं से बच सकते हैं. तेंदुलकर ने लिखा, मैंने कई गंभीर चोटों का सामना किया जहां मेरे सामने अनिश्चित वापसी का दबाव था. खिलाड़ी को काफी शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है. उन्होंने कहा, चिकित्सकीय खर्चा खिलाड़ियों पर अतिरिक्त भार डालता है.