।। अनुज कुमार सिन्हा ।।
शुक्रवार (22 दिसंबर) का दिन भारत का था. रोहित शर्मा और राहुल का था. रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनते जा रहे थे. श्रीलंका के खिलाफ टी-20 के मैच में रोहित शर्मा और राहुल ने जैसी तूफानी बल्लेबाजी की, वैसी बल्लेबाजी विरले देखने को मिलती है. कोहली ने कुछ दिनों के लिए रोहित को कप्तानी क्या सौंप दी, रोहित ने एक के बाद एक जलवा दिखाना शुरू कर दिया.
13 दिसंबर को वनडे में दोहरा शतक और उसके नौ दिन बाद 35 गेंद पर शतक जमा दिया. पूरे फार्म में चल रहे रोहित ने श्रीलंका के किसी भी गेंदबाज को नहीं छोड़ा. पहले 50 रन बनाने में अगर 23 गेंद खेली तो अगला 50 रन सिर्फ 12 गेंदों पर बना दिया. एक ओवर में तो चार छक्के लगा दिये. अगर रोहित ने थोड़ा धैर्य रखा होता, शार्ट थर्ड मैन पर आसान कैच नहीं दिया होता तो संभव था कि रोहित टी-20 में दोहरा शतक लगानेवाले पहले खिलाड़ी बन गये होते.
जिस तेवर से रोहित खेल रहे थे, उन्हें रोकना असंभव दिख रहा था. सिर्फ रोहित की बात क्यों हो, केएल राहुल भी उसी तेवर से खेल रहे थे. यह राहुल का दुर्भाग्य था कि वह शतक बनाने से चूक गये लेकिन 49 गेंदों पर 89 रन की पारी कमजोर पारी नहीं थी. 50 से 89 पहुंचने में राहुल ने सिर्फ 14 गेंद खेली. इतनी तेजी पहले राहुल की बल्लेबाजी में देखने को नहीं मिली थी. एक के बाद एक आठ छक्के राहुल की पारी का बखान करता है. अगर रोहित ने इतनी बेहतरीन पारी नहीं खेली होती तो चारो ओर राहुल की बल्लेबाजी की ही चर्चा होती, लेकिन रोहित की पारी के आगे राहुल की पारी फीकी पड़ गयी.
मैच के आरंभ से ही लग गया था कि रोहित (कप्तान) हर हाल में इस मैच को जीतकर सीरीज पर कब्जा करना चाहते हैं. यही कारण रहा कि भारत ने 20 ओवर में 260 रन बना दिये. अगर अंतिम ओवर में भारतीय बल्लेबाज थोड़ा चल जाते (सिर्फ सात रन बने 20वें ओवर में), तो भारत टी-20 में 263 रन के उच्चतम रन के रिकॉर्ड को तोड़ ही देता. भारत चार रन से चूक गया. हां, रोहित ने धौनी का पूरा मान-सम्मान रखा. नंबर तीन पर बल्लेबाजी का मौका दिया. बाकी खिलाड़ियों की तुलना में धौनी भले ही थोड़ी धीमी खेले हों लेकिन सारी कसर पूरी कर दी बिजली की रफ्तार से दो स्टंपिंग कर. विकेटकीपिंग में आज भी कोई खिलाड़ी धौनी के आसपास नहीं टिकता.
इतने रोचक मैच का अंत बड़ा नीरस हुआ. भले ही भारत का यह स्कोर अपराजेय स्कोर था लेकिन श्रीलंका के पहले तीन खिलाड़ियों ने जैसी तेज-तूफानी बल्लेबाजी की, उससे मैच में रोमांच बरकरार था. 13 ओवर में श्रीलंका ने एक विकेट पर 142 रन बना लिये थे. थरंगा और एम परेरा की जोड़ी जब तक थी, भारतीय स्पिनरों की धुलाई हो रही थी. इन खिलाड़ियों ने चहल के पहले तीन ओवर में 43 रन और कुलदीप के पहले तीन ओवर में 45 रन बनाये थे. लेकिन थरंगा के आउट होते ही पासा पलट गया. श्रीलंका की पारी बिखर गयी. भला हो 15वें और 16वें ओवर को जिसने कुलदीप और चहल की इज्जत बचा दी.
दोनों ने अपने-अपने अंतिम ओवर में तीन-तीन विकेट लिये. हालांकि इतने बड़े स्कोर में जीत दर्ज करना दुनिया की किसी भी टीम के लिए आसान नहीं होता लेकिन श्रीलंका ने 13 ओवर तक संघर्ष दिखाया. उसके बाद अनुभवहीन-कमजोर टीम बिखर गयी. अंत में तो आया राम-गया राम की कहानी दुहरायी गयी. भारत 88 रन के बड़े अंतर से जीता. भारतीय बल्लेबाजी का दुनिया में डंका बजा. इस जीत ने इस बात की पुष्टि कर दी कि बल्लेबाजी के दम पर भारत किसी भी मैच को अपने पक्ष में करने की क्षमता रखता है.