पढ़ें, हैट्रिक लेने वाले गुरबानी की कहानी, इंजीनियरिंग करते-करते ऐसे बना क्रिकेटर

नयी दिल्ली : रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच में हैट्रिक विकेट लेकर विदर्भ के तेज गेंदबाज रजनीश गुरबाणी अचानक सुर्खियों में आ गये हैं. उसकी तेज गेंदबाजी को देखते हुए उन्हें टीम इंडिया के लिए उम्मीद की नजर से देखा जाने लगा है. गुरबाणी ( 59 रन पर छह विकेट) की हैट्रिक से रणजी ट्रॉफी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2017 9:23 AM

नयी दिल्ली : रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच में हैट्रिक विकेट लेकर विदर्भ के तेज गेंदबाज रजनीश गुरबाणी अचानक सुर्खियों में आ गये हैं. उसकी तेज गेंदबाजी को देखते हुए उन्हें टीम इंडिया के लिए उम्मीद की नजर से देखा जाने लगा है.

गुरबाणी ( 59 रन पर छह विकेट) की हैट्रिक से रणजी ट्रॉफी मैच के दूसरे दिन विदर्भ ने दिल्ली को पहली पारी में 295 रन पर समेट दिया. इससे पहले गुरबाणी ने कर्नाटक के खिलाफ मैच में 12 विकेट झटक टीम की जीत में अहम भूमिका निभायी थी.

* इंजीनियरिंग करते-करते बन गये क्रिकेटर

गुरबानी क्रिकेटर बनने से पहले अपने कैरियर को इंजीनियरिंग के रास्‍ते पर ले जाना चाहते थे और उसकी तैयारी में भी लग गये थे. लेकिन गुरबानी ने बताया कि उसे बचपन से ही क्रिकेट से काफी लगाव था. 10 साल में ही उन्‍होंने टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर के क्रिकेट अकादमी को ज्‍वाइन कर लिया था, लेकिन कुछ दिनों में ही उन्‍हें उसे छोड़ना पड़ा. क्‍योंकि उसके पिता नरेश गुरबानी का तबादला नागपुर हो गया.

इसके बाद गुरबानी इंजीनियर की पढ़ाई पर फोकस करना शुरू कर दिया. गुरबानी ने बताया कि उनके परिवार में पढ़ाई का माहौल था. मेरे पिता नरेश गुरबानी रेलवे में डिप्टी चीफ इंजीनियर हैं. मां दिव्या और दादा स्कूल में हैं. छोटा भाई आईआईटी खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. इस तरह से घर का माहौल पढ़ाई वाला था, लेकिन इसके बाद भी गुरबानी ने क्रिकेट में अपना कैरियर बनाने की ठानी.

24 साल के गुरबानी ने 10 दिसंबर 2015 को फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट विजय हजारे ट्रॉफी में डेब्‍यू किया. इसके बाद 27 अक्‍तूबर 2016 में विदर्भ की ओर से उन्‍हें खेलने का मौका मिला. इस मौके को गुरबानी ने हाथ से जाने नहीं दिया और मौजूदा रणजी ट्रॉफी में घातक गेंदबाजी करते हुए सेमीफाइनल में कर्नाटक के खिलाफ मैच में 12 विकेट झटक टीम की जीत में अहम भूमिका निभायी थी. इसके बाद फाइनल में दिल्‍ली के खिलाफ हैट्रिक विकेट लेकर रणजी इतिहास को दोहरा दिया.

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