नयी दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका को स्पिनरों के अनुकूल पिचें तैयार करने के लिये नहीं जाना जाता है और इसलिए सचिन तेंदुलकर चाहते हैं कि भारतीय तेज गेंदबाज न्यूलैंड्स की पिच को रविचंद्रन अश्विन के अनुकूल बनायें जैसा कि 2010-11 के दौर में जहीर खान ने किया था.
भारत केपटाउन में 5 जनवरी से पहला टेस्ट मैच खेलेगा और तेंदुलकर ने याद किया कि किस तरह से जहीर खान की अगुवाई वाले तेज गेंदबाजी आक्रमण ने पिच को हरभजन के अनुकूल बनाया था. तेंदुलकर ने विशेष साक्षात्कार में कहा, केपटाउन टेस्ट (2010-11) के दौरान हरभजन ने दूसरी पारी में सात विकेट (38 ओवरों में 120 रन देकर सात विकेट) लिये थे.
जहीर और लोनवाबो सातेसोबे दोनों बायें हाथ के तेज गेंदबाज थे और उन्होंने पिच को काफी खुरदुरा (रफ) बना दिया. इशांत और श्रीसंत भी राउंड द विकेट गेंदबाजी की. इसके बाद जब भज्जी ने दायें हाथ के बल्लेबाजों के लिये गेंदबाजी की तो पिच में बने इस रफ क्षेत्र से मदद मिली. यह दिग्गज बल्लेबाज चाहता है कि वर्तमान तेज गेंदबाजी आक्रमण भी इसकी पुनरावृत्ति करे. तेंदुलकर ने कहा, अश्विन के लिये परिस्थितियां अधिक चुनौतीपूर्ण होंगी और पिच में थोड़ी नमी रहेगी.
लेकिन भारतीय तेज गेंदबाजों को पिच को खुरदुरा बनाकर अश्विन की मदद करनी होगी. इस महान क्रिकेटर को विराट कोहली की टीम से काफी उम्मीदें हैं क्योंकि वे तीन तेज गेंदबाजों तथा हार्दिक पंड्या जैसे ऑलराउंडर के साथ खेल सकती है जो कि टीम संयोजन में फिट बैठता है. तेंदुलकर ने कहा, इस बार हमारे पास तीन तेज गेंदबाजों और एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के साथ खेलने का विकल्प है. वह (पंड्या) 138-140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता है और इसके अलावा सातवें और आठवें नंबर पर प्रभावशाली बल्लेबाज भी है.
हार्दिक ने श्रीलंका में यह किया. उन्होंने कहा, मेरे 24 साल के करियर में, कभी ऐसा नहीं हुआ जबकि हमारे पास चौथा तेज गेंदबाज रहा हो जो कि आलराउंडर हो. बेशक हमारे पास कपिल देव और मनोज प्रभाकर थे लेकिन वे शीर्ष तीन तेज गेंदबाजों में शामिल थे। तेंदुलकर ने कहा, हमने 2010-11 में वास्तव में अच्छी क्रिकेट खेली। अगर हरभजन को दूसरे छोर से अच्छा सहयोग मिलता तो हमें केपटाउन टेस्ट जीतना चाहिए था। इसके बाद कैलिस और बाउचर ने भी अच्छी साझेदारी (103 रन) निभायी.