मास्टर ब्लास्टर ने जीवन में सफलता के लिए दिया गुरूमंत्र, जानें क्या है खास

मुंबई : अपने करियर में कोच रमाकांत आचरेकर के योगदान को याद करते हुए महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने आज कहा कि कोच और गुरू माता-पिता की तरह होते हैं. तेंदुलकर ने यहां एक किताब के विमोचन समारोह के दौरान कहा, ‘‘कोच, गुरू हमारे माता-पिता की तरह हैं क्योंकि हम उनके साथ इतना समय बिताते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2018 10:36 AM


मुंबई :
अपने करियर में कोच रमाकांत आचरेकर के योगदान को याद करते हुए महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने आज कहा कि कोच और गुरू माता-पिता की तरह होते हैं. तेंदुलकर ने यहां एक किताब के विमोचन समारोह के दौरान कहा, ‘‘कोच, गुरू हमारे माता-पिता की तरह हैं क्योंकि हम उनके साथ इतना समय बिताते हैं, हम उनसे इतनी सारी चीजें सीखते हैं.”

यह दिग्गज बल्लेबाज बच्चों के स्वास्थ पर माता-पिता के लिए किताब ‘इवन व्हेन दियर इज ए डाक्टर’ का विमोचन कर रहे थे जिसे डाक्टर यशवंत अमदेकर, डाक्टर राजेश चोखानी और कृष्णन शिवरामकृष्णन ने लिखा है. तेंदुलकर ने कहा, ‘‘(आचरेकर) सर कभी- कभी सख्त थे, बेहद सख्त और साथ ही ख्याल भी रखते थे और प्यार करते थे. सर ने मुझे कभी नहीं कहा कि अच्छा खेले लेकिन मुझे पता है कि जब सर मुझे भेल पूरी या पानी पूरी खिलाने ले जाते थे तो वह खुश होते थे, मैंने मैदान पर कुछ अच्छा किया था.”

तेंदुलकर को मध्य मुंबई के दादर के शिवाजी पार्क में आचरेकर कोचिंग देते थे. उन्होंने बचपन की एक घटना याद की जिसने उन्हें स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करना सिखाया. तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं 13 बरस के आस पास था जब मुझे एक महीने के राष्ट्रीय शिविर के लिए इंदौर जाना था और उस समय मोबाइल उपलब्ध नहीं थे.” उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक महीने के लिए जा रहा था और मेरी मां चिंतित थी.

मेरे पिता उन्हें कह रहे थे कि यह हमारे बीच सबसे तेज और चतुर है, उसे पता है, वह परिपक्व बच्चा है. मुझे काफी अच्छा लगा लेकिन इस स्वतंत्रता के साथ मेरे दिमाग में कहीं ना कहीं यह बात थी कि स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है और मुझे अपनी स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.” तेंदुलकर ने इस दौरान अपने बच्चों सारा और अर्जुन की अच्छी परवरिश का श्रेय अपनी पत्नी अंजलि को दिया. डाक्टर अमदेकर की छात्र रही अंजलि भी इस मौके पर मौजूद थी.

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