ग्रेग चैपल को कोच बनाना जीवन की सबसे बड़ी भूल, गावस्कर ने भी रोका था : गांगुली
नयी दिल्ली : क्रिकेट के जानकार सौरव गांगुंली और ग्रेग चैपल विवाद को क्रिकेट इतिहास का सबसे खराब दौर के रूप में याद करते हैं. भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में शामिल सौरव गांगुली भी चैपल विवाद को हमेशा अपने कैरियर का सबसे खराब दौर के रूप में याद करते रहे हैं. अब सौरव […]
नयी दिल्ली : क्रिकेट के जानकार सौरव गांगुंली और ग्रेग चैपल विवाद को क्रिकेट इतिहास का सबसे खराब दौर के रूप में याद करते हैं. भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में शामिल सौरव गांगुली भी चैपल विवाद को हमेशा अपने कैरियर का सबसे खराब दौर के रूप में याद करते रहे हैं.
अब सौरव गांगुली और चैपल को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. गांगुली ने खुद अपनी आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में लिखा है, कि चैपल को टीम इंडिया का मुख्य कोच बनाना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी. उन्होंने खुलासा किया है कि चैपल को कोच बनाने से पहले उन्हें गावस्कर ने भी रोका था.
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2005 में भारतीय टीम का कोच बनाने को लेकर यहां तक कि उनके भाई इयान चैपल का रवैया भी सकारात्मक नहीं था और सुनील गावस्कर की भी सोच ऐसी ही थी लेकिन सौरव गांगुली ने कहा कि उन्होंने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज करने का फैसला करके उनकी नियुक्ति को लेकर अपनी अंतररात्मा की आवाज पर विश्वास किया.
* चैपल के क्रिकेटिया ज्ञान से काफी प्रभावित थे गांगुली
चैपल की कोच पद पर नियुक्ति से पहले गांगुली ने उनकी मदद ली थी. यहां तक वह 2003 के ऑस्ट्रेलिया दौर से पहले वहां के मैदानों की जानकारी लेने तथा खुद की और अपने साथियों की तैयारियों के सिलसिले में गोपनीय दौरे पर भी गये थे.
उन्होंने चैपल से संपर्क किया क्योंकि उनका मानना था कि उनके मिशन में मदद करने के लिये सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे. गांगुली ने अपनी आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में लिखा है, ‘अपनी पिछली बैठकों में उन्होंने मुझे अपने क्रिकेटिया ज्ञान से काफी प्रभावित किया था.’
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गांगुली को तब पता नहीं था कि यह साथ उस दौर का सबसे विवादास्पद साथ बन जाएगा. ग्रेग की नियुक्ति के बारे में इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि 2004 में जब जान राइट की जगह पर नये कोच की नियुक्ति पर चर्चा हुई तो उनके दिमाग में सबसे पहला नाम चैपल का आया. उन्होंने लिखा, ‘मुझे लगा कि ग्रेग चैपल हमें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नंबर एक तक ले जाने के लिये सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे. मैंने जगमोहन डालमिया को अपनी पसंद बता दी थी.’
* डालमिया और गावस्कर ने चैपल का किया था विरोध
गांगुली ने कहा, ‘कुछ लोगों ने मुझे ऐसा कदम नहीं उठाने की सलाह दी थी. सुनील गावस्कर भी उनमें से एक थे. उन्होंने कहा था सौरव इस बारे में फिर से सोचो. उसके (ग्रेग) साथ रहते हुए तुम्हें टीम के साथ दिक्कतें हो सकती हैं. उसका कोचिंग का पिछला रिकार्ड भी बहुत अच्छा नहीं रहा है.’ उन्होंने कहा कि डालमिया ने भी एक सुबह उन्हें फोन करके अनिवार्य चर्चा के लिये अपने आवास पर बुलाया था.
गांगुली ने कहा, ‘उन्होंने विश्वास के साथ यह बात साझा की कि यहां तक उनके (ग्रेग के) भाई इयान का भी मानना है कि ग्रेग भारत के लिये सही पसंद नहीं हो सकते हैं.
मैंने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज करने का फैसला किया और अपनी अंतररात्मा की आवाज सुनी.’ उन्होंने कहा, ‘इसके बाद जो कुछ हुआ वह इतिहास है। लेकिन यही जिंदगी है.
कुछ चीजें आपके अनुकूल होती हैं जैसे कि मेरा ऑस्ट्रेलिया दौरा और कुछ नहीं जैसे कि ग्रेग वाला अध्याय. मैंने उस देश पर जीत दर्ज की लेकिन उसके एक नागरिक पर नहीं.’