भारत ने सुनील गावस्कर के बनाये 33 साल पुराने फॉर्मूले से जीता अफ्रीका
नयी दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम की जीत का श्रेय जाता है हेड कोच रवि शास्त्री को. शास्त्री ने इस जीत के लिए 33 साल पुराने फॉर्मूले को आजमाया. यही कारण है कि टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका में वनडे सीरीज 5-1 से और टी-20 सीरीज में 2-1 से जीत दर्ज की. दरअसल […]
नयी दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम की जीत का श्रेय जाता है हेड कोच रवि शास्त्री को. शास्त्री ने इस जीत के लिए 33 साल पुराने फॉर्मूले को आजमाया. यही कारण है कि टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका में वनडे सीरीज 5-1 से और टी-20 सीरीज में 2-1 से जीत दर्ज की. दरअसल यह फॉर्मूला लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने 1985 में बनाया था. यह बातें टीम इंडिया के पूर्व लेग स्पिनर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन ने एक अंगरेजी अखबार से बातचीत में कही.
उन्होंने बताया कि 1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान गावस्कर समेत पूरी टीम ने वनडे में प्रमुख दो स्पिनर को कम-से-कम पांच विकेट लेने की योजना बनायी थी. उस वक्त यह युक्ति काफी कारगर भी साबित हुई थी. उन्होंने बताया कि 1985 में मेरे पहले वनडे मैच से पूर्व तत्कालीन कप्तान सुनील गावस्कर ने मुझे और रवि शास्त्री को लंच के लिए बुलाया. उन्होंने हमसे कहा कि आप दोनों से 20 ओवरों में कम-से-कम मुझे पांच विकेट चाहिए.यही नहीं, कप्तान गावस्कर ने मुझसे यह भी कहा कि अगर 10 ओवर में 50 से अधिक रन खर्च होते हैं, तो हो जाने दो. वह मुझसे किसी भी हालत में दो से तीन विकेट चाहते थे. अब रवि शास्त्री ने उसी फॉर्मूले का कोच के रूप में उपयोग किया है.
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वर्ल्ड कप-2019 के बारे भारत की संभावनाओं के बारे में शिवरामकृष्णन ने कहा : फिंगर स्पिनर रनों की गति को रोकते हैं. उन्हें कलाई के स्पिनरों की तरह बाउंस नहीं मिलता. मेरे हिसाब से कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को प्लेइंग इलेवन में रखने का आइडिया सही होगा. ये कलाई के स्पिनर बिना बॉल को बिना पेस दिये टर्न कराने में सक्षम हैं. इन पर फिंगर स्पिनर की तरह शॉट नहीं लगाया जा सकता है.
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फिंगर स्पिनर जैसे कि आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के वनडे और टी-20 में कमबैक के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा : इनकी वापसी आसान नहीं होगी. टीम मैनेजमेंट जैसा चाहता है, वे वैसा परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं. इनकी बॉलिंग की रफ्तार भी अधिक होती है, जिससे आसानी से बैट्समैन शॉट लगाते हैं. जडेजा और अश्विन की गेंदों जहां रफ्तार 90 किमी प्रतिघंटा होती है वहीं, कुलदीप और चहल औसतन 75 से 80 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद करते हैं.