कोलंबो : भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच इस समय निदहास त्रिकोणीय सीरीज खेली जा रही है. लगातार तीन जीत के साथ भारतीय टीम फाइनल में पहुंच चुकी है. फाइनल में दूसरी टीम कौन होगी इसका फैसला 16 मार्च को श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच मुकाबले से तय होगा.
लेकिन क्या आपको मालूम है इस ट्रॉफी का नाम ‘निदहास’ क्यों दिया गया. आप जानते हैं निदहास का क्या मतलब होता है. दरअसल श्रीलंका की आजादी के 70 साल पूरे होने के मौके पर इस इस इस सीरीज का आयोजन किया गया है.
* निदहास का मतलब आजादी
निदहास/निधास श्रीलंका की सिंहली भाषा का शब्द है, जिसका मतलब आजादी होता है. संस्कृत में भी इस शब्द का जिक्र हुआ है. पालि और संस्कृत का सिंहली भाषा पर काफी प्रभाव है.
श्रीलंका की कई राजनीतिक पार्टियों में भी इस शब्द का प्रयोग होता रहा है. यही वजह है कि इस ट्रॉफी को श्रीलंका की आजादी से जोड़ते हुए निदहास नाम दिया गया.
* दूसरी बार निदहास ट्रॉफी का आयोजन किया गया
निदहास ट्रॉफी का आयोजन दूसरी बार किया गया है. इससे पहले 1998 में श्रीलंका की आजादी के 50 साल पूरे होने के मौके पर टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था.
* भारत ने जीता था पहला निदहास ट्रॉफी
श्रीलंका भले ही अपनी आजादी को याद करते हुए इस टूर्नामेंट का आयोजन करता आया है. लेकिन खिताब पर भारत का कब्जा रहा है. श्रीलंका को पहली खिताबी जीत की तलाश है. 1998 में जब पहली बार इस टूर्नामेंट को खेला गया तो भारत ने इसे जीता था. उस टूर्नामेंट में मेजबान श्रीलंका के अलावा भारत और न्यूजीलैंड ने हिस्सा लिया था.
* सचिन-सौरव ने बनाया था रिकॉर्ड साझेदारी
निदहास ट्रॉफी में सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली का जलवा अब भी बरकरार है. दोनों ने ओपनिंग करते हुए रिकॉर्ड साझेदारी बनायी थी. सचिन और सौरव ने पहले विकेट के लिए रिकॉर्ड 252 रन की पार्टनरशिप की थी. इसी टूर्नामेंट में सचिन ने वनडे में अपना 7 हजार रन पूरा किया था.
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