नयी दिल्ली : 7 जून को जब श्रीलंका दौरे के लिए भारत की अंडर-19 टीम की घोषणा हुई, तो दुनिया के महान क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर के बेटे अर्जुन तेंडुलकर के लिए यह लम्हा खास था. किक्रेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन के बेटे को पहली बार भारतीय टीम की अंडर 19 टीम में जगह जो मिली. अर्जुन के राष्ट्रीय जूनियर टीम में चुने जाने के पीछे दो वजहें बतायी जा रही है. एक तो भारत की अंडर 19 और इंडिया ए के कोच राहुल द्रविड़ के टीम चयन को लेकर खास निर्देश जबकि दूसरा अर्जुन का जेन्युइन फास्ट बॉलर होना उनके लिए सकारात्मक रहा.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, तो अंडर 19 टीम चयन के बाद सिलेक्शन कमिटी से जुड़े एक सूत्र से जब अर्जुन के चयन पर प्रश्न किया गया तो इसकी वजह सामने आयी. सवाल किया गया था कि आखिर अर्जुन को अंडर 19 टीम में यह अवसर कैसे मिला, जबकि कूच बिहार ट्रॉफी में उनका परफॉर्मेंस बहुत अच्छा नजर नहीं आया था. इस ट्रॉफी में विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में वह 43वें स्थान पर ही नजर आये थे ?
सवाल का जवाब देते हुए सूत्र ने बताया कि यदि आप चयन किये हुए खिलाड़ियों की सूची पर नजर डालें, तो आप पाएंगे कि इन खिलाड़ियों में अर्जुन ही ऐसा गेंदबाज हैं, जो क्विक फास्ट बॉलर है, जिसने 15 से ज्यादा विकेट झटके हैं. जिन गेंदबाजों के खाते में अर्जुन से ज्यादा विकेट हैं वह स्पिन गेंदबाजी करते हैं. इसके अलावा अजय देव गौड (33 विकेट) ऐसे गेंदबाज हैं, जो पूर्ण रूप से ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं. लेकिन अजय स्लो मीडियम पेस गेंदबाज हैं, जबकि अर्जुन की गिनती तेज गेंदबाजों में होती है.
इसके अलावा इस सूत्र ने यह भी बताया कि अभी हाल ही में वेस्ट और साउथ जोन के जोनल मैच उना में संपन्न हुए जिनमें तेंडुलकर जूनियर का परफॉर्मेंस काफी अच्छी रही और उन्होंने यहां एक मैच में 37 रन देकर 4 विकेट उखाड़े थे, जिनमें से 3 विकेट एक ही स्पेल में लिये थे. कई लोगों को यह बात नहीं पता है कि उना में जोनल मैच चल रहे हैं और यहां अर्जुन ने शानदार परफॉर्मेंस करके चयनकर्ताओं को आकर्षित किया.
यही नहीं अंडर 19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ की ओर से खिलाड़ियों के चयन को लेकर यह साफ निर्देश थे कि जो खिलाड़ी 19 साल की उम्र को पार कर चुके हैं, उन्हें टीम में सलेक्ट नहीं किया जाए, भले ही उनका परफॉर्मेंस कितना भी अच्छा क्यों न रहा हो. राहुल के अनुसार, 19 वर्ष से बड़े खिलाडि़यों को रणजी ट्रॉफी में खेलने का मौका दिया जाना चाहिए. राहुल द्रविड़ का यह फैसला अर्जुन के लिए वरदान साबित हुआ.