डिग्री विवाद में फंसी हरमनप्रीत, DSP से बन सकती हैं कांस्टेबल!

चंडीगढ़ : भारतीय महिला टी -20 टीम की कप्तान और राष्ट्रीय टीम की उपकप्तान हरमनप्रीत का डिमोशन कर उसे पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) से कांस्टेबल बनाया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के कारण हरमनप्रीत को इस साल मार्च में पुलिस उपाधीक्षक बनाया गया था, लेकिन पंजाब पुलिस ने उनकी डिग्री को ‘ फर्जी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2018 5:42 PM

चंडीगढ़ : भारतीय महिला टी -20 टीम की कप्तान और राष्ट्रीय टीम की उपकप्तान हरमनप्रीत का डिमोशन कर उसे पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) से कांस्टेबल बनाया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के कारण हरमनप्रीत को इस साल मार्च में पुलिस उपाधीक्षक बनाया गया था, लेकिन पंजाब पुलिस ने उनकी डिग्री को ‘ फर्जी ‘ पाया है. पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा , ‘ उनकी स्नातक डिग्री को फर्जी पाया गया है इसलिए उनकी योग्यता अब 12 वीं कक्षा की होगी इसलिए उन्हें कांस्टेबल का पद दिया जा सकता है जो उनकी शैक्षिक योग्यता के मुताबिक है.’

इस मामले में हालांकि अंतिम फैसला सरकार को करना है और गृह विभाग ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से राय मांगी है. गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा , ‘ हरमनप्रीत की फाइल को डीजीपी के पास भेजा गया है ताकि वह इस पर अपनी राय दे सके.’ पंजाब सेवा नियमों के मुताबिक डीएसपी के पद के लिए स्नातक की डिग्री जरूरी है. हरमनप्रीत की दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान पंजाब पुलिस ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू), मेरठ से जारी उनकी स्नातक की डिग्री को फर्जी पाया. एक कार्यक्रम के सिलसिले में तीन जुलाई को मोहाली पहुंची हरमनप्रीत से जब उनकी डिग्री के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा , ‘ मुझे इस विवाद के बारे में पता है , सरकार इसका ध्यान रख रही है. मुझे सकारात्मक नतीजा मिलने की उम्मीद है.’

इससे पहले हरमनप्रीत कौर के पिता हरमिंदर सिंह ने दावा किया था कि उनकी बेटी की डिग्री सही है। उन्होंने कहा कि हरमनप्रीत ने इसी डिग्री के आधार पर रेलवे में नौकरी की तो अब यह डिग्री फर्जी कैसे हो सकती है. गौरतलब है कि पंजाब के मोगा की रहने वाली हरमनप्रीत को एक मार्च, 2018 को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने प्रदेश पुलिस में डीएसपी पद सौंपा था. पंजाब पुलिस से जुड़ने से पहले वह पश्चिम रेलवे में कार्यरत थीं.

वहां उनका पांच साल का बॉंड था. इसके बावजूद उन्होंने पिछले साल नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था. हरमनप्रीत को रेलवे में नौकरी करते हुए तीन साल ही हुए थे. ऐसे में बॉंड की शर्तों के अनुसार, उन्हें पांच साल का वेतन रेलवे को वापस देना था, इसके चलते उन्हें रिलीव नहीं किया गया था. हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह मामला रेल मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष उठाया, इसके बाद ही हरमनप्रीत पंजाब पुलिस से जुड़ पायी थी.

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