”बिहार का लाल” पृथ्वी शॉ : मिल गया सचिन का उत्तराधिकारी
नयी दिल्ली : राजकोट के बड़े से स्टेडियम में हजारों दर्शकों के सामने वेस्टइंडीज की टीम के खिलाफ सफेद पोशाक में पहली बार टेस्ट क्रिकेट में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने उतरा 18 बरस का एक सांवला सा लड़का आगे बढ़कर पहली गेंद खुद खेलने का हौसला दिखाये और मैदान के हर ओर बेहतरीन शॉट […]
नयी दिल्ली : राजकोट के बड़े से स्टेडियम में हजारों दर्शकों के सामने वेस्टइंडीज की टीम के खिलाफ सफेद पोशाक में पहली बार टेस्ट क्रिकेट में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने उतरा 18 बरस का एक सांवला सा लड़का आगे बढ़कर पहली गेंद खुद खेलने का हौसला दिखाये और मैदान के हर ओर बेहतरीन शॉट लगाकर शतक बनाये, तो लगता है कि भारतीय क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर का उत्तराधिकारी मिल गया है.
पृथ्वी शॉ का नाम पिछले करीब आठ बरस से क्रिकेट के गलियारों में सुनायी दे रहा है. हालांकि उसने तीन बरस की उम्र में ही बल्ला थाम लिया था, जब उसका कद उन स्टंप्स से भी छोटा था, जिनके सामने खड़े होकर वह बल्लेबाजी किया करता था. आज यह आलम है कि उसके कद की तुलना दुनिया के बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों से की जा रही है. पृथ्वी को करीब दस बरस पहले सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी करते हुए देखा था और आठ बरस के बच्चे का, गेंद को समझने और सही तकनीक के साथ पूरी ताकत से शॉट लगाने का अंदाज उन्हें इतना पसंद आया था कि उन्होंने उसी समय उसके भारत के लिए खेलने की भविष्यवाणी कर दी थी.
पृथ्वी के बेहतरीन खेल का ही चमत्कार है कि वह रिजवी स्प्रिंगफील्ड के लिए खेलता है, जो मुंबई की सर्वश्रेष्ठ स्कूल टीम है और वह शहर के प्रसिद्ध एमआईजी क्रिकेट क्लब में क्रिकेट की बारीकियां सीखता है. इस क्लब की प्रतिष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सचिन तेंदुलकर के पुत्र अर्जुन को भी इसी क्लब में कोचिंग दी जा रही है. शॉ को इस बात का एहसास है कि उनके खेल में कुछ ऐसी बात है कि लोग उनकी तुलना सचिन तेंदुलकर से करते हैं.
हाल ही में शॉ ने एक अखबार के साथ मुलाकात में कहा, ‘‘लोग मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्हें मुझमें सचिन तेंदुलकर का अक्स नजर आता है. वह क्रिकेट के भगवान से मेरी तुलना करते हैं. मेरे लिए यही ठीक है कि मैं इन बातों पर ध्यान दिये बिना अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान दूं.’
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पृथ्वी शॉ का परिवार मूलतः बिहार के गया का रहने वाला है. उनके पिता पंकज साव बहुत पहले मुंबई के नजदीक विरार में आकर बस गये और छोटे से पृथ्वी की क्रिकेट में दिलचस्पी देखकर मात्र तीन बरस की उम्र में विरार की क्रिकेट अकादमी में उनका दाखिला करा दिया. पृथ्वी साव बहुत छुटपन में अपने दोस्तों और पिता के साथ जेडब्ल्यू मैरिएट के नजदीक बीच पर क्रिकेट खेलते थे। बाद में पृथ्वी को एक कंपनी के रूप में प्रायोजक मिला तो परिवार मुंबई चला आया. महज चार बरस की उम्र में अपनी मां को खो देने वाले पृथ्वी के जीवन पर उनके पिता का बहुत गहरा असर है. उन्हें एक अच्छा इनसान बनाने के साथ ही एक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी बनाने का सपना देखने वाले अपने पिता को पृथ्वी ने चार अक्टूबर को एक बेहतरीन तोहफा दिया जब उन्होंने अपने पहले ही मैच में सैकड़ा लगाकर खुद को सचिन तेंदुलकर की श्रेणी में खड़ा कर दिया.
दरअसल वह सचिन के बाद टेस्ट क्रिकेट में सैकड़ा बनाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं. इसी साल जून में फादर्स डे पर पृथ्वी ने सोशल मीडिया पर अपने पिता को उनपर भरोसा करने के लिए धन्यवाद दिया था. अगर क्रिकेट की 22 गज की पिच पर पृथ्वी शॉ नाम की यह बिजली आगे भी इसी तरह चमकती रही तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा देश उन्हें और उनके पिता को धन्यवाद देगा.