मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने भारत और वेस्टइंडीज के बीच ब्रेबोर्न स्टेडियम में 29 अक्टूबर को होने वाले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच के टिकटों की बिक्री पर अंतरिम रोक लगाने से बुधवार को इंकार कर दिया.
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) और उसके दो सदस्यों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में वनडे मैच को वानखेड़े स्टेडियम से ब्रेबोर्न स्टेडियम में स्थानान्तरित करने के बीसीसीआई के फैसले को चुनौती दी गयी है.
एमसीए के वकील एमएम वाशी ने अदालत को बताया कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने केवल इसलिए मैच स्थानान्तरित कर दिया क्योंकि एमसीए मेजबानी संबंधी करार जमा नहीं करा पाया था.
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उन्होंने कहा, हम वानखेड़े स्टेडियम में मैच कराना चाहते थे तथा टिकट बिक्री, प्रसारण अधिकार से जुड़ी कई शर्तें तय कर ली गयी थी. हमने इनका पालन करने की पुष्टि भी की थी. केवल मेजबानी से संबंधित करार जमा नहीं कराया गया था.
एमसीए ने अपनी याचिका में सुनवाई लंबित होने तक मैच के टिकटों की बिक्री पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया था. वाशी ने कहा, ब्रेबोर्न स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय मैचों के आयोजन के योग्य नहीं है। इस मैदान पर अंतिम मैच 2009 में खेला गया था.
अदालत ने बहस के बाद इस तथ्य का संज्ञान लिया कि अगर बीसीसीआई ने प्रशासक के हस्ताक्षर वाले मेजबानी से संबंधित करार की शर्त रखी है तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है. न्यायमूर्ति गवई ने कहा, इसमें गलत क्या है? एमसीए के पास निदेशक बोर्ड भी नहीं है.
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उच्च न्यायालय ने प्रशासकों के रूप में काम करने के लिये दो सेवानिवृत न्यायाधीशों को नियुक्त किया था लेकिन उन पर आरोप लगाये जाने के बाद उन्होंने भी आगे पद पर बने रहने की अनिच्छा व्यक्त की थी.
उन्होंने कहा, हमारा इरादा किसी तरह का अंतरिम आदेश देने का नहीं है जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने मांग की है. आप (याचिकाकर्ता) चाहें तो उच्चतम न्यायालय जा सकते हैं क्योंकि शीर्ष अदालत के पास एमसीए से जुड़ा इसी तरह का मामला लंबित है.
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अदालत ने बीसीसीआई और ब्रेबोर्न स्टेडियम का स्वामित्व रखने वाले क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया को याचिकाके जवाब में हलफनामा पेश करने के निर्देश दिये. इस मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी। एमसीए और उसके दो सदस्यों संजय नाइक और रवि सावंत ने बीसीसीआई के फैसले को गैरकानूनी और मनमाना करार दिया था.