महेंद्र सिंह धौनी को चयनकर्ताओं ने टी-20 सीरीज से बाहर कर दिया है और वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया के साथ खेले जाने वाली सीरीज में उन्हें जगह नहीं दी है. हालांकि इसे उनके टी-20 कैरियर का अंत नहीं माना जा रहा है, जैसा कि मुख्य सलेक्टर एमएसके प्रसाद ने कहा है. वैसे अगर यह धौनी के टी-20 कैरियर का अंत भी हो तो क्या?
महेंद्र सिंह धौनी ने अपने कैरियर में उस हर ऊंचाई को पा लिया है जिसकी कोई भी खिलाड़ी चाहत रखता है और उसके सपने बुनता है. महेंद्र सिंह धौनी के टी-20 कैरियर पर अगर नजर डालें तो आप सबको याद ही होगा कि उन्होंने वर्ष 2007 में भारत को टी-20 विश्व कप का चैंपियन बनाया था और खेल प्रेमियों के दिलों में ऐसी जगह बनायी थी जिसे आज तक कोई खिलाड़ी छीन नहीं सका.
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वर्ष 2006 में किया था डेब्यू
महेंद्र सिंह धौनी ने वर्ष 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 फॉर्मेट में डेब्यू किया था. उन्होंने अबतक कुल 93 टी-20 मैच खेले हैं जिनमें उन्होंने 80 इनिंग खेला है और 1487 रन बनाये हैं. उन्होंने टी-20 फार्मेट में दो अर्द्धशतक जमाये हैं और उनका अधिकतम स्कोर 56 रहा है. धौनी ने अपनी कप्तानी में वर्ष 2007 में टी-20 का विश्वकप भारत को जिताया और कपिलदेव के बाद वे पहले ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने अपने कैरियर में भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया. वे टी-20 फार्मेट के पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने अपना एक हजार रन पूरा किया था.
2008 में कप्तान बने और शानदार रिकॉर्ड बनाये
महेंद्र सिंह धौनी का कैरियर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ शुरू हुआ था. वे मात्र चार साल में टीम के कप्तान (हर फार्मेट) बन गये और हर फॉर्मेट में उनका प्रदर्शन कमाल का रहा. उन्होंने आईसीसी की हर प्रतियोगिता का विनर भारत को बनवाया. जिसमें टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 का विश्वकप और चैंपियंस ट्रॉफी 2013 है. उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से भी सम्मानित किया है.