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इशांत के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरा ‘अभी नहीं तो कभी नहीं” जैसा, कहा, सब कुछ झोंक दूंगा

नयी दिल्ली : भारत के सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज इशांत शर्मा के लिए यह ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ का मामला है और उन्होंने कहा कि वह अपने चौथे और संभवत: आखिरी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सब कुछ झोंक देना चाहते हैं. मौजूदा टेस्ट टीम में इशांत 87 मैचों के साथ सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं और […]

नयी दिल्ली : भारत के सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज इशांत शर्मा के लिए यह ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ का मामला है और उन्होंने कहा कि वह अपने चौथे और संभवत: आखिरी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सब कुछ झोंक देना चाहते हैं.

मौजूदा टेस्ट टीम में इशांत 87 मैचों के साथ सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं और वह इससे पहले 2007-08, 2011-12 और 2014-15 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं. इंग्लैंड दौरे के बाद दो महीने में अपना पहला प्रतिस्पर्धी मैच खेलने के बाद इशांत ने कहा, मैं हमेशा अपना सब कुछ झोंक देता हूं क्योंकि जब आप देश के लिए खेल रहे होते हो तो आप दूसरे मौके के बारे में नहीं सोच सकते.

मैं अभी 30 साल का हूं. मुझे नहीं पता कि मैं अगले दौरे (ऑस्ट्रेलिया का 2022-23 में) के लिए टीम में रहूंगा कि नहीं क्योंकि तब मैं 34 साल का हो जाऊंगा. इस दौरे पर मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा. इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट में इशांत ने 18 विकेट चटकाए और इस दौरान बेहतरीन गेंदबाजी की. इशांत का मानना है कि वह अब अधिक परिपक्व हो गए हैं और यह मानसिक स्थिति है जो कई बार मैदानी प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाती है.

भारत की ओर से 87 टेस्ट में 256 विकेट चटकाने वाले इशांत ने कहा, मैं अब परिपक्व हूं और मुझे पता है कि क्षेत्ररक्षकों को कहां लगाना है और कैसे परिस्थितियों के अनुसार गेंदबाजी करनी है. जब आपकी उम्र बढ़ने लगती है तो शरीर को भी नुकसान पहुंचने लगता है. यह सब मानसिक स्थिति से जुड़ा है.

अगर आप फिट हैं और आपकी मानसिक स्थिति अच्छी है तो आप कह सकते हैं कि आप अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं. कप्तान कोहली (73 मैच) से भी अधिक टेस्ट खेलने वाले इशांत का लक्ष्य अगली पंक्ति के तेज गेंदबाजों को इस तरह से मेंटर करना है कि वे भी कुछ वर्षों में अन्य तेज गेंदबाजों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा कर सकें.

उन्होंने कहा, मैं अपना अनुभव साझा करता हूं, मेरे कहने का मतलब है कि मेरे पास जो भी अनुभव है उसे बांटता हूं. मैं क्षेत्ररक्षण सजा सकता हूं और उन्हें बता सकता हूं कि किसी निश्चित विकेट पर किस तरह की गेंदबाजी करनी है. युवा तेज गेंदबाजों को भी सीनियर बनने के बाद जूनियर गेंदबाजों का मार्गदर्शन करना चाहिए.

इंग्लैंड में 2013 चैंपियन्स ट्रॉफी में भारत की जीत के हीरो रहे इशांत इससे आहत हैं कि वह भारत की सीमित ओवरों की टीम का हिस्सा नहीं हैं और सिर्फ 80 एकदिवसीय मैच खेल पाये. उन्होंने कहा, हां, इसे लेकर मुझे बुरा महसूस होता है कि मैं एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलता. मैं देश के लिए तीनों प्रारूपों में खेलना चाहता हूं लेकिन कुछ चीजें हैं जिन्हें आप नियंत्रित नहीं कर सकते और मैं काफी नकारात्मक चीजों के बारे में सोचना नहीं चाहता.

इशांत ने स्वीकार किया कि ऑस्ट्रेलिया की टीम में स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर का नहीं होना फायदे की स्थिति होगी. उन्होंने कहा, आप ऐसा (भारत फायदे की स्थिति में होगा) कह सकते हैं. आंकड़े खुलासा करते हैं कि हाल के वर्षों में उनके 60 प्रतिशत रन स्मिथ और वार्नर ने बनाए हैं.

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