दुबई : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के विवाद निवारण पैनल ने मंगलवार को बीसीसीआई के खिलाफ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के मुआवजे को दावे को खारिज कर दिया.
इसके साथ ही लंबे समय से चले आ रहे विवाद का अंत बीसीसीआई की बड़ी जीत के साथ हुआ. पीसीबी ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर द्विपक्षीय शृंखला से जुड़े सहमति पत्र (एमओयू) का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया था. आईसीसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर पोस्ट पर लिखा, विवाद निवारण पैनल ने बीसीसीआई के खिलाफ पाकिस्तान के मामले को खारिज कर दिया है.
आईसीसी ने संक्षिप्त बयान में कहा, यह फैसला बाध्यकारी होगी और इसके खिलाफ अपनी नहीं की जा सकती. पीसीबी ने बीसीसीआई पर एमओयू का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाते हुए 447 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी. इस एमओयू के तहत भारत को 2015 से 2023 के बीच पाकिस्तान से छह द्विपक्षीय शृंखलाएं खेलनी थी.
बीसीसीआई ने इसके जवाब में कहा था कि वह इस कथित एमओयू को मानने के लिए बाध्य नहीं है और यह कोई मायने नहीं रखता क्योंकि पाकिस्तान ने भारत द्वारा सुझाए आईसीसी के राजस्व माडल पर समर्थन की प्रतिबद्धता पूरी नहीं की.
भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने साथ ही कहा था कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट के लिए सरकार से स्वीकृति की जरूरत पड़ती है जो 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद से नहीं मिल रही. सीओए विनोद राय ने कहा, हमें खुशी है कि हमारा रुख सही साबित हुआ.
पीसीबी जिसे एमओयू कह रहा है वह असल में प्रस्ताव पत्र है. उन्होंने कहा, मैं बीसीसीआई की विधि टीम के अलावा प्रत्येक उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस मामले पर काम किया. राय ने कहा कि बीसीसीआई अब पाकिस्तान के खिलाफ मुआवजे का मामला दायर करेगा और मध्यस्थता मामले पर हुए खर्च की भरपाई की मांग करेगा.
उन्होंने कहा, हम पैनल के सामने प्रस्तुतिकरण रखेंगे और मांग रखने की मध्यस्थता के इस मामले का पूरा खर्चा पीसीबी उठाए. आईसीसी ने पीसीबी के मुआवजे दावे पर विचार के लिए तीन सदस्यीय विवाद निवारण समिति गठित की थी. इस मामले की सुनवाई एक से तीन अक्टूबर तक यहां आईसीसी के मुख्यालय में हुई.
यह मुद्दा 2014 से चल रहा है जब बीसीसीआई के तत्कालीन सचिव संजय पटेल ने 2015 से 2023 के बीच छह द्विपक्षीय शृंखला खेलने के लिए एक पन्ने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे जिसे बीसीसीआई ने हमेशा ‘प्रस्ताव पत्र’ कहा. पहली प्रस्तावित शृंखला नवंबर 2015 में यूएई में होनी थी लेकिन बीसीसीआई को सरकार से स्वीकृति नहीं मिली.
पाकिस्तान के खिलाफ द्विपक्षीय शृंखला के लिए सरकार से स्वीकृति लेना अनिवार्य है. पीसीबी ने इस शृंखला से मिलने वाले टीवी राजस्व गंवाने के कारण मुआवजे का मामला डाला था. पूर्व विदेशी मंत्री सलमान खुर्शीद उन व्यक्तियों में शामिल रहे जिनसे सुनवाई के दौरान जिरह हुई.
बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खुर्शीद ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट खेलने के इनकार करने के भारत के रुख को उचित ठहराया था. राय ने सुनवाई के दौरा गवाही के लिए खुर्शीद का भी आभार जताया. उन्होंने कहा, मध्यस्थता मामले में खुर्शीद और सुंदर रमन की गवाही ने हमारे पक्ष को मजबूत किया. रमन उस समय आईपीएल के सीओओ थे.