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वर्ल्ड कप 2011 में युवराज से पहले बल्लेबाजी करने क्यों उतर गये थे माही, किया ये बड़ा खुलासा, जानें
मुंबई : वर्ल्ड कप 2011 में मैच विजयी पारी खेलनेवाले कप्तान धौनी श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच में युवराज सिंह से पहले बल्लेबाजी करने उतरे. जब धौनी बल्लेबाजी करने आये, तब टीम इंडिया ने 275 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए तीन विकेट खोकर 114 रन बनाये थे. लसिथ मलिंगा ने टीम इंडिया के […]
मुंबई : वर्ल्ड कप 2011 में मैच विजयी पारी खेलनेवाले कप्तान धौनी श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच में युवराज सिंह से पहले बल्लेबाजी करने उतरे. जब धौनी बल्लेबाजी करने आये, तब टीम इंडिया ने 275 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए तीन विकेट खोकर 114 रन बनाये थे. लसिथ मलिंगा ने टीम इंडिया के दोनों ओपनर्स सहवाग और तेंडुलकर को पवेलियन भेजा. इसके बाद गंभीर और कोहली ने अच्छी साझेदारी करके टीम को 100 रन के पार लगाया.
कोहली के विकेट के बाद युवराज सिंह को बल्लेबाजी के लिए आना था. हालांकि, भारतीय कप्तान धौनी ने युवी से पहले क्रीज पर जाने का फैसला किया. यह बड़ा दांव माना जा रहा था, क्योंकि युवराज सिंह बेहतरीन फॉर्म में थे. धौनी और गंभीर ने फिर चौथे विकेट के लिए शतकीय साझेदारी कर टीम को लक्ष्य के करीब पहुंचाया. गंभीर शतक जमाने से केवल तीन रन से चूके. इसके बाद कप्तान के साथ क्रीज पर युवराज सिंह आये. धौनी ने छक्का लगा कर टीम को चैंपियन बनाया.
आइपीएल में सीएसके के नेट्स पर श्रीलंकाई गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी का अनुभव था धौनी के पास
फैंस के मन में हमेशा से यह सवाल रहा कि आखिर क्यों युवराज सिंह से पहले कप्तान महेंद्र सिंह धौनी बल्लेबाजी करने आये? अब खुद धौनी ने खुलासा करते हुए इसकी असली वजह बतायी है.
धौनी ने कहा कि उन्हें महसूस हुआ कि वह श्रीलंकाई स्पिनर्स विशेष कर मुथैया मुरलीधरन का डट कर मुकाबला कर सकते हैं. माही ने कहा : मैं अधिकांश श्रीलंकाई गेंदबाजों को अच्छे से जानता था, क्योंकि वह आइपीएल में पहले चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके)का हिस्सा रह चुके हैं.
उन्होंने कहा : मैं पहले बल्लेबाजी करने आया, क्योंकि उस समय मुथैया मुरलीधरन गेंदबाजी कर रहे थे. मैंने सीएसके के नेट्स पर उनके खिलाफ कई बार बल्लेबाजी की है और मुझे विश्वास था कि उनके खिलाफ खुल कर रन बना सकूंगा. यही प्रमुख कारण था कि मैंने अपने आप को ऊपर बल्लेबाजी करने के लिए उपयुक्त माना.
विकेटकीपर को कप्तान बनाने से हिचकिचाते थे भारतीय चयनकर्ता
धौनी ने यह भी बताया कि उन्हें कप्तान बनाने से पहले चयनकर्ता भी घबराए हुए थे. उन्होंने कहा : मुझसे पहले चयनकर्ता विकेटकीपर को कप्तान बनाने से हिचकिचाते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि कीपर पर काफी दबाव आ जायेगा.
मगर मैंने अपने सफल नेतृत्व से उनका दृष्टिकोण बदल दिया. विकेटकीपर की जगह मैच का विश्लेषण करने के लिए सर्वश्रेष्ठ है. वह एक्शन के सबसे करीब होता है. वह किसी भी कप्तान के लिए मूल्यवान साबित हो सकता है. अपनी महत्वपूर्ण जानकारियां देकर वह किसी भी कप्तान का बोझ कम कर सकता है.
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