नयी दिल्ली : वीवीएस लक्ष्मण की आत्मकथा कुछ दिनों पहले लॉन्च हुई है. जिसमें वेरी-वेरी स्पेशल लक्ष्मण ने क्रिकेट से जुड़ी कई महत्पूर्ण घटनाओं का जिक्र किया. अपनी किताब में उन्होंने 2012 में अचानक संन्यास लेने का भी जिक्र किया. जिसने उस समय काफी सुर्खियां बटोरी थी.
लक्ष्मण ने 18 अगस्त 2012 को संन्यास लेने का फैसला किया था, जबकि इसके एक हफ्ते के भीतर उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में अपने घरेलू दर्शकों के समक्ष खेलना था. संन्यास की घोषणा के बाद चर्चा होने लगी थी कि पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के साथ ‘मतभेद’ के कारण उन्होंने यह फैसला करना पड़ा.
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लक्ष्मण ने हालांकि इसे खारिज कर दिया और अपने क्रिकेट करियर का पहला और एकमात्र विवाद करार दिया. उन्होंने कहा, मैंने बाहरी कारणों से संन्यास नहीं लिया और मुझे संन्यास लेने के लिए बाध्य नहीं किया गया. लक्ष्मण ने कहा, मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुना और इसने मुझे निराश नहीं किया. मेरा पूरा जीवन, मेरे कार्य इस आवाज पर निर्भर रहे, लेकिन इसमें मेरे करीबियों के सुझाव की भी भूमिका रही.
उस समय मैंने अधिक परिपक्वता दिखाते हुए सिर्फ इसी को सुना, अपने पिता तक ही सलाह को महत्व नहीं दिया. लक्ष्मण ने बताया कि मीडिया को अपने संन्यास की जानकारी देने से पहले उन्होंने कई भारतीय क्रिकेटरों से बात की जिसमें टीम के उनके साथी जहीर खान और तेंदुलकर भी शामिल रहे.
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उन्होंने कहा, सचिन एनसीए में थे और उन्होंने मुझे मनाने का प्रयास किया कि मैं प्रेस कांफ्रेंस टाल दूं. मैंने सचिन की सलाह नकार दी, लेकिन मैंने उस समय सम्मान के साथ उन्हें कहा कि मैं इस बार उनकी बात नहीं मान सकता. मैंने एक घंटे की बातचीत के दौरान उन्हें बार बार कहा कि मैं अपना मन बना चुका हूं.