रीति से जुड़ने के बाद जडेजा की हुई बल्ले बल्ले

आईपीएल में एक साल का प्रतिबंध और भारतीय टीम से बाहर होने के कारण रविंदर जडेजा जब बुरे दौर से गुजर रहे थे तब उन्होंने रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट से करार किया जिसके बाद अचानक ही उनके सितारे चमकने लगे और भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के चहेतों खिलाड़ियों में भी शामिल हो गये. जडेजा के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:45 PM

आईपीएल में एक साल का प्रतिबंध और भारतीय टीम से बाहर होने के कारण रविंदर जडेजा जब बुरे दौर से गुजर रहे थे तब उन्होंने रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट से करार किया जिसके बाद अचानक ही उनके सितारे चमकने लगे और भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के चहेतों खिलाड़ियों में भी शामिल हो गये.

जडेजा के प्रबंधन का काम 2006 से 2011 तक कोलाज स्पोर्ट्स मैनेजमेंट ने देखा लेकिन इसके बाद वह रीति स्पोर्ट्स से जुड़ गये. इससे पहले उनके सितारे गर्दिश में दिखायी दे रहे थे. उन पर अंदर ही अंदर किसी अन्य फ्रेंचाइजी टीम से करार करने के प्रयास में 2010 में आईपीएल से प्रतिबंधित कर दिया था. इस बीच उन्हें भारतीय टीम से भी बाहर कर दिया और वह विश्व कप की टीम का हिस्सा नहीं बन पाये.

कोलाज स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की लतिका खनेजा ने कहा, ‘‘रविंदर जडेजा का काम 2006 से 2011 तक मेरी कंपनी ने देखा लेकिन यदि कोई खिलाड़ी किसी अन्य फर्म से जुड़ना चाहता हो तो आप उसे नहीं रोक सकते विशेषकर तब जबकि कंपनी भारतीय कप्तान का काम भी देख रही हो. ’’ इस आलराउंडर की सितंबर 2011 में भारतीय टीम में वापसी हुई और फिर फरवरी 2012 में आईपीएल की नीलामी में चेन्नई सुपरकिंग्स ने जडेजा को 20 लाख डालर (लगभग 9.72 करोड़ रुपये) में खरीदा. चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हैं. जडेजा इसके बाद भारतीय टीम के भी अहम अंग बन गये. भारत ने जनवरी 2012 के बाद 24 एकदिवसीय मैच खेले जिनमें से 17 मैच में जडेजा शामिल थे. इन मैचों में उन्होंने 273 रन बनाये और 34.82 की औसत से 17 विकेट लिये.

इस बीच भारत ने आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय एकदिवसीय श्रृंखला में शिरकत की और धोनी ने जडेजा को उसके सभी आठ मैचों में अंतिम एकादश में रखा था. जडेजा ने इन मैचों में 16.83 की औसत से 101 रन बनाये जिसमें उनका उच्चतम स्कोर 24 रन था. इस बीच उन्होंने 109 की औसत से केवल तीन विकेट लिये थे. उस टूर्नामेंट में एक अन्य आलराउंडर इरफान पठान भी टीम का हिस्सा थे लेकिन उन्हें केवल चार मैच खेलने को मिले थे. पठान ने इन मैचों में 96 रन बनाये जिसमें उनका उच्चतम स्कोर 47 रन था. उन्होंने 30.16 की औसत से छह विकेट भी लिये थे.

जडेजा को इसके बाद टेस्ट क्रिकेट में भी पदार्पण का मौका मिला. यहां तक कि धोनी ने बायें हाथ के एक अन्य स्पिनर प्रज्ञान ओझा पर उन्हें तवज्जो दी. जडेजा आस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट श्रृंखला के चारों मैच में खेले थे जबकि ओझा केवल दो मैच ही खेल पाये थे. इसी श्रृंखला के दौरान ओझा ने भी रीति स्पोर्ट्स से जुड़ने का फैसला किया था.

पूर्व भारतीय क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी ओझा पर जडेजा को तरजीह देने पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने देखा कि प्रज्ञान ओझा को दूसरी पसंद का बायें हाथ का स्पिनर बना दिया गया और आईपीएल में अंदर ही अंदर करार करने की कोशिश में प्रतिबंध ङोल चुके रविंदर जडेजा की अचानक ही 20 लाख डालर की कीमत आंकी गयी तो मुङो लगा कि कुछ गड़बड़ जरुर है.’’ धोनी, जडेजा और ओझा के अलावा रीति स्पोर्ट्स सुरेश रैना का भी प्रबंधन देखती है. रैना ने 2010 में टेस्ट टीम में पदार्पण किया.

वह शुरुआती सफलता के बाद अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये लेकिन फिर भी 17 टेस्ट मैच खेलने में सफल रहे. उन्होंने वनडे में जनवरी 2010 के बाद शतक नहीं लगाया है लेकिन वह टीम के मध्यक्रम का अहम अंग बने हुए हैं. धोनी के कप्तान बनने के बाद रैना ने 123 मैच खेले हैं. इनमें से कुछ मैचों में उन्होंने स्वयं भी टीम की कमान संभाली.

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