कोहली की तारीफ में मार्क टेलर ने गढ़े कशीदे, मगर बोले- मैदान पर उन्हें आक्रामक होने की जरूरत नहीं
मेलबर्न : ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान मार्क टेलर ने विराट कोहली के मैदान के बाहर के आचरण की प्रशंसा की, लेकिन उन्हें लगता है कि मैदान में भारतीय कप्तान के आक्रामक रवैये की खेल को जरूरत नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक टेलर ने एक वाकये का उदाहरण दिया, जिसमें वह […]
मेलबर्न : ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान मार्क टेलर ने विराट कोहली के मैदान के बाहर के आचरण की प्रशंसा की, लेकिन उन्हें लगता है कि मैदान में भारतीय कप्तान के आक्रामक रवैये की खेल को जरूरत नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक टेलर ने एक वाकये का उदाहरण दिया, जिसमें वह कोहली का साक्षात्कार लेना चाहते थे और इसमें उनका व्यवहार काफी शिष्ट रहा था.
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क्रिकेटर से कमेंटेटर बने टेलर ने कहा कि चार साल पहले जब मैं चैनल नाइन के साथ था, तो मैं विराट कोहली का साक्षात्कार कर रहा था, तब मुझे उनके व्यक्तित्व के बारे में जानने का मौका मिला. उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने खुद को पेश किया, वह शानदार था. उन्होंने कहा कि हम टेस्ट से एक दिन पहले एडिलेड ओवल में स्टूडियो में शूटिंग कर रहे थे, तब रिहर्सल के लिए लाउडस्पीकर पर राष्ट्रगान तेज आवाज में शुरू हुआ और हमें ब्रेक लेने के लिये बाध्य होना पड़ा. कुछ दसेक मिनट बाद राष्ट्रगान खत्म हुआ, तो भारत के मीडिया मैनेजर ने मुझे कहा कि आधे घंटे का समय खत्म हो गया है और कोहली को उठने का इशारा किया.
टेलर ने सिडनी मार्निंग हेराल्ड में अपने कॉलम में लिखा कि कोहली ने ऐसा करने के बजाय मुझसे पूछा कि क्या मुझे और समय चाहिए. मैंने उनसे कहा कि मैं उनसे और सवाल पूछना चाहता हूं, तो उन्होंने कहा कि चलो, हम बैठते हैं और इसे पूरा करते हैं. मैंने सोचा कि यह शानदार था, लेकिन 107 टेस्ट में 7525 रन बनाने वाले टेलर ने कहा कि कोहली मैदान पर थोड़ा अलग था.
उन्होंने कहा कि वह शानदार बल्लेबाज है, लेकिन काफी आक्रामक है. मुझे हैरानी नहीं होगी, अगर ज्यादातर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को उनका दूसरा रूप देखने को मिलेगा, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. वह टीम की कप्तानी आमतौर पर अच्छी तरह करता है, लेकिन कभी कभार वह जैसा व्यवहार करता है, वो उसके और उसकी टीम के लिये अच्छा नहीं है.
टेलर ने कहा कि पर्थ में उसका टिम पेन से व्यवहार मेरे लिये चिंताजनक था. वह पेन को उकसाकर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश कर रहा था, लेकिन खेल को इसकी जरूरत नहीं है. क्रिकेट बल्ले बनाम गेंद को खेल है, जिसमें जरूरत पड़ने पर ही थोड़े बहुत नाटक की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि इन सबका मतलब है कि जब आपकी टीम विकेट ले, जब आप स्लिप में कैच लपको, तो पूरा जश्न मनाओ, लेकिन पिच पर अंपायर की ओर भागते हुए बल्लेबाज को जाने का इशारा करना अच्छा नहीं है.
टेलर ने कहा कि इस तरह का बर्ताव पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम से निकलता रहा है और आज हम जहां है, उसमें थोड़ी सी भूमिका इसकी भी है. ऑस्ट्रेलिया के साथ जो हुआ, विराट की कप्तानी में भारतीय टीम आस्ट्रेलिया से काफी कुछ सीख सकती है.