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राहुल, पांड्या की सजा तय करने लिये COA ने SC से लोकपाल नियुक्त करने की मांग की

नयी दिल्ली : प्रशासकों की समिति (सीओए) ने वृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि महिलाओं के खिलाफ असंवेदनशील बयानबाजी को लेकर विवाद में फंसे निलंबित क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और केएल राहुल की सजा तय करने को भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिये एक लोकपाल की नियुक्ति की जानी चाहिये. न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और ए […]

नयी दिल्ली : प्रशासकों की समिति (सीओए) ने वृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि महिलाओं के खिलाफ असंवेदनशील बयानबाजी को लेकर विवाद में फंसे निलंबित क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और केएल राहुल की सजा तय करने को भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिये एक लोकपाल की नियुक्ति की जानी चाहिये.

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और ए एम सप्रे की पीठ ने कहा कि बीसीसीआई मामले में जितने भी अंतरिम आवेदन दायर किये गए हैं, उनकी सुनवाई अगले सप्ताह करेंगे जब वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा मामले में न्यायमित्र के रूप में पद संभाल लेंगे.

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राहुल और पांड्या ने ‘काफी विद करण’ में महिला विरोधी बयानबाजी करते हुए कहा था कि उनके कई महिलाओं से संबंध हैं और उनके माता पिता को इस पर ऐतराज नहीं है. उन्हें जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है.

उच्चतम न्यायालय ने नरसिम्हा को न्यायमित्र नियुक्त किया जब वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रहमण्यम ने मामले में न्यायमित्र बनने के लिये दी गई सहमति वापिस ले ली थी. सीओए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय को लोकपाल की सीधे नियुक्ति करनी चाहिये, क्योंकि इन दोनों प्रतिभाशाली युवा क्रिकेटरों के भविष्य पर तुरंत फैसला लेना है.

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बीसीसीआई के कामकाज के संचालन के लिये न्यायालय द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय सीओए में से दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद अब सिर्फ दो सदस्य अध्यक्ष विनोद राय और डायना एडुल्जी बचे हैं. त्रिपाठी ने कहा , राहुल और पांड्या युवा खिलाड़ी हैं और उनके भविष्य को लेकर तुरंत फैसला लिया जाना चाहिये. उन्होंने एक टीवी शो पर कुछ असंवेदनशील बयान दिये.

सीओए के दो सदस्यों का मानना है कि उनकी सजा पर फैसला लेने के लिये लोकपाल की नियुक्ति होनी चाहिये. राय ने दोनों क्रिकेटरों पर दो मैच के प्रतिबंध का सुझाव दिया है, लेकिन एडुल्जी ने मामले को बीसीसीआई की कानूनी शाखा के समक्ष रखा है जिसने लोकपाल की नियुक्ति का सुझाव दिया है.

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