मन की आवाज पर यकीन करते हैं धौनी
नाटिंघमः स्थिति को भांपकर उसके अनुरुप फैसला करना महेंद्र सिंह धोनी की सबसे बडी काबिलियत है लेकिन पिछले सात बरस में भारत को अपनी कप्तानी में बुलंदियों तक पहुंचाने वाले इस दिग्गज ने कहा कि उनकी अंतरात्मा की आवाज सिर्फ तर्क पर आधारित है. उन्होंने कहा कि आदमी की उम्र भले हीं संख्या के आधार […]
नाटिंघमः स्थिति को भांपकर उसके अनुरुप फैसला करना महेंद्र सिंह धोनी की सबसे बडी काबिलियत है लेकिन पिछले सात बरस में भारत को अपनी कप्तानी में बुलंदियों तक पहुंचाने वाले इस दिग्गज ने कहा कि उनकी अंतरात्मा की आवाज सिर्फ तर्क पर आधारित है. उन्होंने कहा कि आदमी की उम्र भले हीं संख्या के आधार पर मापा जाता है पर उनका विकास उसके अनुभव के आधार पर मापा जाता है. धोनी ने कहा कि हमलोगों के जीवन में एक ऐसा चरण होता है जब हम एक व्यक्ति के रुप में आगे बढ़ते हैं और दुनिया को पहले किये गये कार्यों की तुलना में ज्यादा समझने लगते हैं.
धोनी ने अपने 33वें जन्मदिन पर ‘बीसीसीआई.टीवी’ से 2007 में ट्वेंटी-20 विश्व कप से ठीक पहले कप्तान बनाए जाने, सीनियर खिलाडियों की मौजूदगी में यह जिम्मेदारी निभाने और अपनी कप्तानी की शैली आदि विषय पर बात की.
भारत को टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक, 2011 में विश्व चैम्पियन, 2007 ट्वेंटी20 विश्व चैम्पियन और पिछले साल चैम्पियन्स ट्राफी विजेता बनाने के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा कि वह मैदान पर अपने मन की आवाज सुनकर काम करते हैं और इसके लिए अपने अनुभव पर निर्भर है.
धोनी ने कहा, मैं काफी योजनाएं नहीं बनाता और अपने मन की आवाज पर विश्वास करता हूं. लेकिन काफी लोगों की समझ में यह नहीं आता कि मन की आवाज सुनने से पहले आपके लिए इस स्थिति का पहले अनुभव होना जरुरी है. उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए आपको बाइक के बारे में कुछ नहीं पता. अगर मैं अपनी एक बाइक का इंजन खोलूं और इसको आपके सामने रखकर बताने को कहूं कि आपके हिसाब से यह इंजन किस बाइक का है और आपके मन की आवाज क्या कहती है तो आपके मन से कोई आवाज नहीं आएगी क्योंकि आप वहां रखी चीज के बारे में कुछ नही जानते.
जब उनसे पूछा गया कि आप पिछले सात वर्षों से भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं. आपने टीम के हर पहलू को नजदीक से देखा है. आप इस सफर को किस रुप में देखते हैं?
धोनी ने इसके जवाब में कहा कि पांच मिनट में सात साल के सफर के बारे में बताना तो मुश्किल है पर वास्तव में यह काफी उतारचढ़ाव से भरा रहा. कप्तानी के दौरान हमने केवल क्रिकेट ही नहीं बल्कि जीवन के बारे में भी बहुत कुछ सीखा. हम कई जगहों पर जाते थे वहां अलग-अलग तरह के अनुभव मिले. उन्होंने कहा कि एक टीम के कैप्टन होने के नाते यह मेरा दायित्व होता है कि हम टीम को किसी भी तरह के नकारात्मकता से ऊपर रखें. केवल टीम को इंप्रूव करना ही मेरा दायित्व नहीं होना चाहिए बल्कि टीम के सदस्यों को मदद भी करना चाहिए. यह सात साल मेरे लिए काफी शिक्षाप्रद रहा.