गौतम गंभीर ने कहा राजनीति की पिच आसान नहीं, लेकिन अब यही मेरी प्राथमिकता, चुनौतियों के लिए तैयार
नयी दिल्ली : चुनावी राजनीति में पदार्पण के साथ ही अपने क्रिकेट कैरियर से ज्यादा विवादों का सामना कर रहे सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर को बडे़ टूर्नामेंटों का खिलाड़ी कहा जाता है और वह राजनीति की पिच पर भी अपनी छाप छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. क्रिकेट से राजनीति में आये गंभीर पूर्वी […]
नयी दिल्ली : चुनावी राजनीति में पदार्पण के साथ ही अपने क्रिकेट कैरियर से ज्यादा विवादों का सामना कर रहे सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर को बडे़ टूर्नामेंटों का खिलाड़ी कहा जाता है और वह राजनीति की पिच पर भी अपनी छाप छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. क्रिकेट से राजनीति में आये गंभीर पूर्वी दिल्ली से भाजपा के प्रत्याशी हैं .वह नामांकन भरने के बाद से ही विरोधी दल के आरोपों का सामना कर रहे हैं .पहले उनका नामांकन आखिरी दिन कुछ घंटे के लिये रोका गया.
उसके बाद दो वोटर आईडी रखने और अनुमति के बिना रैली के लिए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई .आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी आतिशी और कांग्रेस के दिग्गज अरविंदर सिंह लवली का सामना कर रहे गंभीर ने स्वीकार किया कि राजनीति में चुनौतियां अलग हैं लेकिन वह इनका सामना करने के लिये तैयार हैं .उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा ‘यह मेरे लिये नया है और मुझे समझ में नहीं आ रहा कि क्या कहूं .जब लोगों के पास अपने क्षेत्र को देने के लिए कुछ नहीं होता तो वह आपकी आलोचना करने लगते हैं .’
आतिशी के इस आरोप पर, कि नियम पता नहीं होने पर खेलना नहीं चाहिए, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे एक ही नियम पता है कि राजनीति में जज्बात, सही इरादा और साफ दिल चाहिए जो मेरे पास है .वह पता नहीं, किन नियमों की बात कर रही हैं .’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा क्रिकेट कैरियर भी चुनौतियों से भरा रहा है . मैं यहां भी राह आसान होने की उम्मीद नहीं करता .चुनौतियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की प्रेरणा मिलती है .मुझे पता है कि राजनीति की राह आसान नहीं है लेकिन मैं उसके लिये तैयार हूं .’
गंभीर ने आगे कहा, ‘‘मैं सकारात्मक राजनीति करने आया हूं और विकास ही मेरा विजन है .हम दिल्ली को लंदन या पेरिस नहीं बल्कि ऐसा शहर बनाना चाहते हैं जहां साफ हवा और पानी हो .झूठे वादों से ज्यादा ये मूल मुद्दे जरूरी हैं ।’ टी20 विश्व कप 2007 में 54 गेंद में 75 रन और वनडे विश्व कप 2011 फाइनल में 97 रन की पारी खेल चुके गंभीर का कहना है कि क्रिकेट की चुनौतियों से अभी राजनीतिक चुनौतियों की तुलना करना जल्दबाजी होगी .उन्होंने कहा ‘‘मुझे अभी चुनावी राजनीति में उतरे पांच ही दिन हुए हैं .अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी .यहां अलग चुनौतियां हैं लेकिन रोमांचक हैं .हम क्रिकेट खेलते थे तो मकसद लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना होता था और यहां तो हम उनकी जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं .’
राजनीति में आने की वजह पूछने पर उन्होंने कहा ‘‘मैं ऐसा इंसान नहीं हूं जो सिर्फ हर मसले पर एसी कमरे में बैठकर ट्वीट करता रहे और मैदान पर जाने का साहस नहीं दिखा सके .या तो मैं हर मसले पर आंख मूंद लेता या उसके लिये कुछ करता.जाहिर है कि मैंने दूसरा रास्ता चुना ।’ पाकिस्तान के साथ क्रिकेट का विरोध करने वाले गंभीर पाकिस्तान को चुनावी मसला बनाने को गलत नहीं मानते .उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा अहम है और यह राष्ट्रीय एजेंडा या चुनावी मसला क्यों नहीं हो सकती .हमने पिछले 70 साल में देखा है कि बातचीत से कोई हल नहीं निकला .आपके पास अतीत में कई मौके थे कडे़ फैसले लेने के, लेकिन आपने नहीं लिये .प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उरी और पुलवामा के बाद साहसिक फैसले लिये तो उन्हें बधाई देनी चाहिए.’
क्रिकेट के मैदान पर भी अपने दिल की सुनने के लिए मशहूर गंभीर ने कहा कि वह राजनीति में भी खुद को नहीं बदलेंगे .उन्होंने कहा, ‘‘इसकी कोई जरूरत नहीं है .मैं सत्ता या पद का भूखा नहीं हूं .ऐसा होता तो पिछले साल दिल्ली की कप्तानी नहीं छोड़ता .मेरे जज्बात मेरी ताकत हैं और हमेशा रहेंगे .’ कमेंट्री समेत बाकी व्यस्तताओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ‘‘मैंने जिस दिन राजनीति में उतरने का फैसला किया, उसी दिन खुद से वादा किया कि मेरी प्राथमिकता यही होगी .बाकी चीजें हाशिये पर चली जायेंगी.’
सौरव गांगुली की आक्रामक कप्तानी के बाद कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में खेलने वाले गंभीर अब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं .क्या उन्हें तीनों में कोई समानता नजर आती है ? यह पूछने पर उन्होंने कहा ‘‘राजनीति एकदम अलग है लेकिन नतीजे यहां भी मायने रखते हैं .हमारे प्रधानमंत्री ने पांच साल में नतीजे दिये हैं जिसके लिए अच्छे नेतृत्व की जरूरत होती है .’