नयी दिल्ली : पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने दावा किया कि उन्हें 2010 के स्पॉट फिक्सिंग कांड से पहले उनके साथी खिलाड़ियों और सटोरिये के बीच संदेशों के आदान प्रदान का इल्म था, लेकिन तत्कालीन कोच वकार युनूस ने सबूत देने के बावजूद कार्रवाई से इनकार कर दिया.
अपनी आत्मकथा ‘ गेम चेंजर ‘ में एक और सनसनीखेज खुलासा करते हुए अफरीदी ने कहा कि एक स्टिंग आपरेशन में ‘न्यूज आफ द वर्ल्ड ‘द्वारा खुलासा किये जाने से पहले उन्हें सटोरिये मजहर मजीद और कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों के बीच एसएमएस के सिलसिले का पता था.
स्पॉट फिक्सिंग मामला अगस्त 2010 में पाकिस्तान टीम के इंग्लैंड दौरे पर प्रकाश में आया जब तत्कालीन कप्तान सलमान बट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर पर आईसीसी ने प्रतिबंध लगा दिया. अफरीदी ने कहा कि मामला उजागर होने से पहले उन्होंने टीम प्रबंधन को सबूत दिये थे, लेकिन उनके कार्रवाई नहीं करने पर वह काफी बरसे भी थे.
अफरीदी ने किताब में लिखा , प्रबंधन के कानों में जूं भी नहीं रेंगी. हमेशा की तरह ढुलमुल रवैया. शायद प्रबंधन परिणामों से डर गया था. ये खिलाड़ी उनके पसंदीदा और भावी कप्तान थे. मैं कह नहीं सकता. उन्होंने कहा कि वह जून 2010 में एशिया कप के लिये श्रीलंका में थे जब उन्हें मजीद और बट के एजेंट और मैनेजर के एसएमएस मिले. उन्होंने कहा कि मजीद उस समय अपने परिवार के साथ श्रीलंका में था और एक बीच पर उसके छोटे बेटे ने उसका मोबाइल पानी में गिरा दिया था.
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अफरीदी ने कहा , जब मजीद इंग्लैंड लौटा तो वह फोन दुरूस्त कराने ले गया. फोन दुकान पर कुछ दिन रहा. यह इत्तेफाक की बात है कि दुकानदार मेरे दोस्त का दोस्त था. फोन ठीक करते समय दुकानदार ने मजीद के मैसेज देखे. उसने मेरे दोस्त को बताया और उससे मुझे पता चला.
उन्होंने कहा कि उस समय उन्होंने तत्कालीन कोच वकार को यह बात बताई. उन्होंने कहा , मुझे श्रीलंका में वह एसएमएस मिले तो मैने वकार को दिखाये. उसने मामला आगे बढ़ाया ही नहीं. हमें लगा कि यह उतना बुरा नहीं है जितना बाद में सामने आया. हमें लगा कि यह उनकी आपस की बातचीत है, लेकिन वे मैसेज किसी बड़े कांड का हिस्सा थे.
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