1987 वर्ल्डकप में पहली बार शुरू हुई न्यूट्रल अंपायर की परंपरा
नयी दिल्ली : आईसीसी वर्ल्डकप 2019 की शुरुआत 30 मई से होने जा रही है. इसमें महज 25 दिन शेष रह गये हैं. इस बार के वर्ल्डकप में भाग लेने वाली सभी 10 टीमें मुकाबले के लिए तैयार हैं. वर्ल्डकप इतिहास की अगर बात करें तो इसकी शुरुआत 1975 में हुई थी. जिसमें कुल 8 […]
नयी दिल्ली : आईसीसी वर्ल्डकप 2019 की शुरुआत 30 मई से होने जा रही है. इसमें महज 25 दिन शेष रह गये हैं. इस बार के वर्ल्डकप में भाग लेने वाली सभी 10 टीमें मुकाबले के लिए तैयार हैं. वर्ल्डकप इतिहास की अगर बात करें तो इसकी शुरुआत 1975 में हुई थी. जिसमें कुल 8 टीमों ने (भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, पाकिस्तान, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका) हिस्सा लिया था. वेस्टइंडीज की टीम ने पहला वर्ल्डकप अपने नाम किया था. इसके बाद वेस्टइंडीज ने 1979 का भी वर्ल्डकप जीता. 1983 में भारत ने वेस्टइंडीज को हराकर पहली बार वर्ल्डकप जीता.
इंग्लैंड ने लगातार तीन वर्ल्डकप का आयोजन किया. लेकिन 1987 में पहली बार इंग्लैंड के बाहर वर्ल्डकप कराया गया. भारत और पाकिस्तान ने मिलकर 1987 वर्ल्डकप का आयोजन किया था. 1987 वर्ल्डकप में इंग्लैंड के आधिपत्य को पहली बार तोड़ा गया. इससे पहले वर्ल्डकप में पूरी तरह से इंग्लैंड का ही प्रभुत्व हुआ करता था. सभी मुकाबले इंग्लैंड में कराये जाते थे और यहां तक अंपायर भी उसी देश के हुआ करते थे. लेकिन 1987 में पहली बार कई बदलाव हुए. इस विश्व कप में सबसे खास बात यह थी कि पहली बार कुल ओवरों की संख्या 60 से घटाकर 50 कर दी गयी.
इसके अलावा इस वर्ल्डकप में पहली बार इंग्लैंड के अंपायर के अलावा अन्य देश के अंपायरों को शामिल किया गया. इससे पहले 1975, 79 और 83 के वर्ल्डकप में इंग्लैंड के ही अंपायरों से मैच कराया गया. पहली बार न्यूट्रल अंपायरों को वर्ल्डकप में शामिल किये जाने के लिहाज से 1987 का वर्ल्डकप अपने आप में खास रहा है और उसे इस रूप में भी याद किया जाता है.