विश्वकप 2003 : जब सचिन का विकेट लेकर भारतीयों की नजर में ”विलेन” बने मैकग्रा
नयी दिल्ली : क्रिकेट के ‘भगवान’ कहे जाने वाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के नाम वर्ल्ड कप में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, जिसे तोड़ पाना तो दूर इस वक्त उसके आस-पास भी कोई खिलाड़ी नजर नहीं आ रहा है. वर्ल्ड कप 2003 सचिन के लिहाज से बेहद खास था. टूर्नामेंट में सचिन के बल्ले से […]
नयी दिल्ली : क्रिकेट के ‘भगवान’ कहे जाने वाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के नाम वर्ल्ड कप में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, जिसे तोड़ पाना तो दूर इस वक्त उसके आस-पास भी कोई खिलाड़ी नजर नहीं आ रहा है. वर्ल्ड कप 2003 सचिन के लिहाज से बेहद खास था. टूर्नामेंट में सचिन के बल्ले से रन बरस रहे थे. उन्होंने 11 मैचों की 11 पारियों में 61.18 के औसत से 673 रन बनाये थे. जिसमें एक शतक और 6 अर्धशतक शामिल थे. उस टूर्नामेंट सचिन ने रिकॉर्ड 75 चौके भी जमाये थे.
लगातार अच्छे प्रदर्शन के चलते सचिन तेंदुलकर को गोल्डेन बैट से भी सम्मानित किया गया था. सचिन के शानदार प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया फाइनल में पहुंची. खिताबी भिड़ंत में ऑस्ट्रेलिया और भारत की टीम आमने-सामने थी. 1983 के बाद दूसरी बार भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी. प्रदर्शन को देखकर सभी को यह विश्वास हो गया था कि टीम इंडिया दूसरी बार वर्ल्ड कप जीतने जा रही है.
फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया के तात्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया. लेकिन ‘दादा’ का फैसला गलत साबित हुआ. कप्तान रिकी पोंटिंग की शतकीय पारी (140 रन) और डेमियन मार्टिन के नाबाद 88 रन के दम पर ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत के सामने जीत के लिए 360 रन का विशाल लक्ष्य रखा. भारतीय गेंदबाजों में केवल हरभजन सिंह ने ही दो विकेट लिये.
बल्लेबाजी के लिए जब भारतीय टीम मैदान पर उतरी तो पूरा स्टेडियम और भारतीय दर्शकों की उम्मीदें केवल और केवल सचिन तेंदुलकर पर टिकी थीं. सचिन ने पारी की शुरुआत की. उनके सामने ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ग्लेन मैकग्रा थे. पहले ओवर में लगातार तीन गेंदों में मैकग्रा ने सचिन को परेशान किया, लेकिन चौथी गेंद को सचिन ने बाउंड्री के बाहर चार रन के लिए भेज दिया. सचिन के शॉट को देखकर भारतीय दर्शकों में जोश आ गया. पूरा स्टेडियम खुश से झूम उठा.
लेकिन मैकग्रा ने अगली गेंद पर चालांकी दिखायी और सचिन को पटकी हुई शॉट पिच गेंद दी, जिसकी लेंथ थोड़ी सी अधिक थी. सचिन ने उस गेंद को भी उठाकर मारने की कोशिश की, लेकिन गेंद सीधा ऊपर उठ गया. गेंद के निचे मैकग्रा खुद थे. उन्होंने कोई गलती नहीं की और सचिन का कैच लपकने में कामयाब रहे.
सचिन सिर झूकाकर निराश मन से पवेलियन लौट रहे थे और पूरा स्टेडियम शोक में डूब गया. सचिन के आउट होने के बाद हालांकि विरेंद्र सहवाग (82) और राहुल द्रविड (47) ने कुछ प्रयास किये, लेकिन भारत को हार से नहीं बचा पाये. ऑस्ट्रेलिया ने 125 रन से भारत को रौंदकर वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम कर लिया और इस तरह सौरव गांगुली का वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीतने का सपना भी टूट गया.
ग्लैन मैकग्रा ने एक साक्षात्कार में 2003 फाइनल मुकाबले की चर्चा करते हुए कहा कि सचिन को आउट कर वो भारतीयों की नजर में विलेन बन गये थे. उन्होंने कहा था, भारतीयों ने 2003 विश्व कप फाइनल में सचिन को आउट करने के लिये मुझे अब भी माफ नहीं किया है.
मैकग्रा ने फाइनल मुकाबले को याद करते हुए कहा, सचिन ने पहले ओवर में ही मुझ पर चौका जड़ा. मैंने अगली गेंद शार्ट पिच की और उन्होंने मुझे वापस आसान कैच थमा दिया.