28 वर्षों का लंबा इंतजार किया था हमने, तब 2011 में खुशी मिली. एक बार फिर से वो घड़ी आनेवाली है. सारी टीमें घात लगाये बैठी है, लेकिन भारतीय सेना ने 1983 में जो 36 वर्ष पहले लॉर्ड्स में इतिहास रचा था, उसे दोहराने के लक्ष्य के साथ कूच करने को तैयार हैं. जीत आसान न तब थीं, न अब है. मगर धौनी में अनहोनी को होनी में बदलने का दम है.
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क्रिकेट का महाकुंभ : क्राउन क्रिकेट का… हम ले आयेंगे
28 वर्षों का लंबा इंतजार किया था हमने, तब 2011 में खुशी मिली. एक बार फिर से वो घड़ी आनेवाली है. सारी टीमें घात लगाये बैठी है, लेकिन भारतीय सेना ने 1983 में जो 36 वर्ष पहले लॉर्ड्स में इतिहास रचा था, उसे दोहराने के लक्ष्य के साथ कूच करने को तैयार हैं. जीत आसान […]
कोहली का बल्ला विराट पारियां खेलने को बेताब है. रोहित और राहुल धमाके को तैयार है. मूंछ को ताव देते हुए धवन इस बार शिखर छू लेना चाहते हैं. जडेजा-हार्दिक व जाधव में गेंद-बल्ले से परेशान करने की क्षमता है. कुलदीप, चहल भी खतरनाक है. बुमराह, भुवी और शमी का पेस अटैक इस बार सबसे उम्दा है.
36 वर्ष बाद लॉर्ड्स में इतिहास दोहराना होगा लक्ष्य
हालात वही, उम्मीद नयी
विश्व कप से पहले घर में ऑस्ट्रेलिया से हार के बाद भी भारत को प्रबल दावेदार माना जा रहा है. कोहली की कप्तानी में टीम की तुलना 1983 और 2011 की चैंपियन भारतीय टीम से की जा रही है, जो विश्व खिताब जीतने की माद्दा रखती है.
1983 ऑल राउंडर के दम पर जीते थे हम
तीसरे विश्व कप में भारतीय टीम से किसी की उम्मीद तो नहीं थी कि वह खिताब जीत कर घर लौटेगी, लेकिन कपिल ने कर दिखाया. टीम में ऑलराउंडरों की भरमार थी. कपिल, अमरनाथ, बिन्नी और मदन लाल गेंदबाजी ऑलराउंडर थे, जो बल्ले से भी उतने ही दमदार थे.
2011 सचिन के लिए जीता था विश्व कप
घरेलू मैदान होने के कारण भारत पहले से ही खिताब के दावेदारों में शुमार था. महेंद्र सिंह धौनी की टीम ने शुरुआत में ही यह संकेत दे दिये ते कि वे सचिन तेंडुलकर के लिए हर हाल में विश्व कप जीतना चाहते हैं. टीम के हर खिलाड़ी इस अभियान में अहम भूमिका निभायी.
2019 : अच्छे प्रदर्शन का दबाव
भारतीय टीम पर हमेशा ही विदेश में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव रहता है, क्योंकि टीम जितना अच्छा घर में प्रदर्शन करती है, बाहर नहीं कर पाती है. हालांकि कोहली की सेना ने पिछले कुछ वर्षों से इस मिथक को तोड़ा है और भारतीय टीम इस इतिहास को बदलना चाहती है. कोहली की कप्तानी में टीम पर विदेश में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव है.
अब तक इंडिया का प्रदर्शन
1975 लीग दौर से बाहर
1979 लीग दौर से बाहर
1983 चैंपियन
1987 सेमीफाइनल में हार
1992 लीग दौर से बाहर
1996 सेमीफाइनल में हार
1999 सुपर सिक्स से बाहर
2003 उप विजेता
2007 लीग दौर से बाहर
2011 चैंपियन
2015 सेमीफाइनल में हार
लॉर्ड्स में कोहली के मोम के पुतले का अनावरण
लंदन. मोम के पुतले तैयार करने के लिए मशहूर मैडम तुसाद ने आइसीसी विश्व कप से पहले भारतीय कप्तान कप्तान विराट कोहली के मोम के पुतले का यहां लार्ड्स में अनावरण किया. पुतला गुरुवार से लेकर 15 जुलाई तक मैडम तुसाद में प्रदर्शित किया जायेगा.
एलिजाबेथ से मिले कोहली
विश्व कप क्रिकेट के उद्घाटन समारोह से पहले सभी टीमों के कप्तान ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ से मुलाकात की. कप्तान कोहली ने कहा कि यहां आकर अच्छा लग रहा है. भारतीय प्रशंसकों का यहां पर सपोर्ट है, जिससे घर जैसा लग रहा है.
ये टीमें बनेंगी भारत की राह में बाधक
ऑस्ट्रेलिया
अब तक पांच बार विश्व खिताब जीत चुकी ऑस्ट्रेलिया की टीम विश्व खिताब की प्रबल दावेदार है. वॉर्नर और स्मिथ की फार्म सफलता की कुंजी ऑस्ट्रेलिया के लिए साबित हो सकती है. वॉर्नर ने आइपीएल में 692 रन बनाये जबकि स्मिथ ने दोनों अभ्यास मैचों में शानदार प्रदर्शन किया. उस्मान ख्वाजा, कप्तान आरोन फिंच, तेज गेंदबाज पैट कमिंस और मिचेल स्टार्क, स्पिनर नाथन लियोन और एडम जाम्पा टीम को मजबूत बनाते हैं.
इंग्लैंड
विश्व कप के 1975 में आगाज के बाद से इंग्लैंड की टीम इतनी मजबूत कभी नहीं दिखी, जितनी इस बार मोर्गन की कप्तानी में लग रही है. उसके पास जोस बटलर, जानी बेयरस्टा, मोर्गन और जो रूट जैसे खतरनाक बल्लेबाज हैं. गेंदबाजी में जोफ्रा आर्चर, मार्क वुड और आदिल रशीद पर नजरें होंगी. वहीं बेन स्टोक्स और मोईन अली गेंदबाजी, बल्लेबाजी और फील्डिंग तीनों में महारथी हैं, जो विश्व चैंपियन बनने के लिए विरोधियों को हर हाल में रोकने की कोशिश करेंगे.
वेस्टइंडीज
क्रिकेट ने तमाम उतार चढ़ाव झेले हैं, लेकिन ‘यूनिवर्सल बॉस’ क्रिस गेल अपने आखिरी विश्व कप में कुछ खास करना चाहेंगे. आंद्रे रसेल ने आइपीएल में अपना हुनर दिखाया है और मैच विनर्स की टीम में कमी नहीं है.
पाकिस्तान
लगातार हार के बाद भले ही पाकिस्तान विश्व कप में उतरा है, लेकिन मोहम्मद आमिर और वहाब रियाज,फखर जमां, इमाम-उल-हक, मोहम्मद हफीज, बाबर आजम और हारिस सोहेल प्रतिभाशाली खिलाड़ी है, जिनके दम पर अतीत के उदाहरणों को भुला कर पाक चैंपियन बन सकता है.
न्यूजीलैंड
टीम के पास केन विलियम्सन के रूप में परिपक्व कप्तान और शानदार बल्लेबाज हैं. उनके अलावा मार्टिन गुप्टिल और कोलिन मुनरो भी अच्छे बल्लेबाज हैं. ट्रेंट बोल्ट, कोलिन डि ग्रांडहोमे और जिम्मी नीशाम पर गेंदबाजी की जिम्मेदारी है, जिस तरह से अभ्यास मैच में न्यूजीलैंड ने प्रदर्शन किया है, उससे पिछली बार की उपविजेता को कमजोर आंकना भूल होगी.
दक्षिण अफ्रीका
टीम का रिकॉर्ड भले ही रिकॉर्ड आइसीसी टूर्नामेंटों में अच्छा नहीं रहा है, लेकिन डेल, कागिसो रबाडा की रफ्तार और इमरान ताहिर की फिरकी कमाल कर सकती है. टीम अपनी सारे पुराने मिथक को तोड़ते हुए नया इतिहास रच सकती हैं. पिछले सभी विश्व कप में साउथ अफ्रीका ने लीग मुकाबले में शानदार खेल दिखाया है, लेकिन अंतिम समय किस्मत के रूठने के कारण उसे बाहर होना पड़ा है.
इन्हें कमजोर आंकना होगी बड़ी भूल
अफगानिस्तान
विश्व क्रिकेट में उभरना परीकथा जैसा रहा है. उसके पास राशिद खान जैसा शानदार स्पिनर, मोहम्मद शहजाद, हजरतुल्लाह जजाइ, हशमतुल्लाह शाहिद और मोहम्मद नबी जैसे अच्छे क्रिकेटर भी हैं, जो विरोधियों को परेशान करने के लिए काफी हैं.
बांग्लादेश
मशरेफ मुर्तजा काफी लोकप्रिय कप्तान हैं, जिनके पास शाकिब-अल-हसन जैसा हरफनमौला है. तामिम इकबाल, महमूदुल्लाह रियाद और मुशफिकर रहीम का अनुभव टीम को मजबूती देता है. हाल ही में टीम ने कई टूर्नामेंट भी जीते हैं.
श्रीलंका
टीम के पास अनुभव के नाम पर सिर्फ लसिथ मलिंगा है. खराब दौर से जूझ रही श्रीलंकाई टीम से अधिक उम्मीदें लगाना बेमानी है, लेकिन टीम चौंका सकती है.
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