मुंबई : भारतीय दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर ने 1992 में पर्थ की तेज और उछाल भरी पिच पर 114 रन की अपनी पारी को फिर से सर्वश्रेष्ठ करार दिया है. उन्होंने बुधवार को कहा कि वाका में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने खेली गयी इस पारी ने उनका मनोबल बढ़ाया और इसके बाद उनका कैरियर बदल गया.
उन्होंने यहां स्कूली बच्चों के साथ बातचीत में कहा कि एक पारी जिसने मेरा कैरियर बदला या मेरे कैरियर को दिशा दी, वह पर्थ में 1992 की पारी थी. पर्थ को तब सबसे तेज विकेट माना जाता था और ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज इतने खतरनाक थे कि उनसे पार पाना मुश्किल था. तब मैं शतक जड़ने में सफल रहा और उस समय मैं केवल 19 साल का था.
तेंडुलकर ने कहा कि और इससे केवल दो मैच पहले मैंने सिडनी में शतक लगाया था, लेकिन वे दोनों अलग-अलग तरह की पिचें थी. मैं जानता था कि पर्थ का विकेट ऐसा है जैसा मुझे दुनिया में कहीं और नहीं मिलेगा. यदि मैं पर्थ में बल्लेबाजी करके रन बना सकता हूं, तो फिर मैं किसी भी पिच पर रन बनाने में सफल रहूंगा. उन्होंने कहा कि तब मेरे कैरियर की शुरुआत ही हुई थी.
मैंने पिछले दो साल से अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन पर्थ की पारी के बाद मेरा कैरियर बदल गया, क्योंकि मुझे महसूस हुआ कि मैं दुनिया का सामना करने के लिए तैयार हूं. मैं अति आत्मविश्वास में नहीं था, लेकिन मेरा खुद पर विश्वास बढ़ गया और मैं किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार था. यह स्टार बल्लेबाज रेयान इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों से मुखातिब था. उन्होंने यह प्रतिक्रिया तब की जब एक छात्र ने उनसे पूछा कि उनके 51 टेस्ट शतकों में से सर्वश्रेष्ठ शतक कौन है. अपने कैरियर में तेंडुलकर ने वनडे क्रिकेट में भी 49 शतक लगाये.