नयी दिल्ली : भारत की वर्तमान चयनसमिति पर दूरदर्शी नहीं होने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस पैनल के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद का मानना है कि अगर ऐसा होता तो जसप्रीत बुमराह टेस्ट स्तर पर शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाते और हार्दिक पांड्या जैसा खिलाड़ी टी20 से उभरकर टेस्ट क्रिकेटर नहीं बन पाता.
आलोचकों का मानना है कि चयनसमिति में दूरदर्शिता की कमी है लेकिन प्रसाद ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, अगर समिति में दूरदर्शिता की कमी होती तो फिर जिस जसप्रीत बुमराह को केवल सीमित ओवरों का क्रिकेटर माना जाता था वह कैसे टेस्ट क्रिकेट में आ पाता और वह आईसीसी रैंकिंग में नंबर एक टेस्ट गेंदबाज बना.
प्रसाद ने कहा, यदि हम दूरदर्शी नहीं थे तो फिर हार्दिक पांड्या कैसे सभी प्रारुपों में ऑलराउंडर की भूमिका बखूबी निभाता, जबकि पहले उन्हें भी केवल टी20 खिलाड़ी माना गया था. चयनसमिति के अध्यक्ष ने इस संबंध में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल का भी उदाहरण दिया जिन्हें रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे स्थापित स्पिनरों की मौजूदगी के बावजूद सीमित ओवरों की टीम में रखा गया.
प्रसाद ने कहा, इसी समिति ने कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को आगे बढ़ाया जबकि सीमित ओवरों की टीम में हमारे पास अन्य स्थापित स्पिनर थे. उन्होंने कहा, अगर हम दूरदर्शी नहीं होते तो ऋषभ पंत कैसे इतने कम समय में टेस्ट टीम में जगह बना पाते, क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था कि उन्हें लंबी अवधि के प्रारुप में जगह मिल पाएगी.
हम सभी ने देखा कि उसने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में विकेट के आगे और विकेट के पीछे अच्छा प्रदर्शन किया. प्रसाद से पूछा गया कि क्या धौनी को टीम में रखने के लिये मध्यक्रम के संतुलन से समझौता किया गया, उन्होंने कहा, अगर शुरू में विकेट गंवाने के बाद हम विश्व कप सेमीफाइनल (न्यूजीलैंड के खिलाफ) जीत जाते तो फिर जडेजा और धौनी की पारियों को सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक गिना जाता.
उन्होंने कहा, मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि आज तक धौनी सीमित ओवरों में भारत का सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर और फिनिशर है. विश्व कप में विकेटकीपर और बल्लेबाज के रूप में धौनी टीम के लिये बड़ी ताकत थे.