नयी दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी अब नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) के दायरे में आएगा. खेल सचिव आरएस जुलानिया ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बीसीसीआई के पास इसके लिए ना कहने की गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत की तमाम खेल नियामक संस्थाएं और सभी खिलाड़ी एक समान हैं. सभी को एक ही नियम का पालन करना होगा. जुलानिया ने कहा कि, किसी को भी इस मामले में विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता है.
BCCI to now come under the ambit of NADA (National Anti-Doping Agency). Sports Secretary RS Julaniya says "BCCI does not have discretion to say no. All are same, everyone has to follow the same rules" pic.twitter.com/S2rTQ36KKg
— ANI (@ANI) August 9, 2019
काफी सालों तक इंकार करने के बाद अब बीसीसीआई डोपिंग एजेंसी की शर्तों को मानने पर राजी हो गया है. फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीसीसीआई के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल जौहरी ने कहा कि अब बोर्ड नाडा के दायरे में आता है. इसलिए हम तमाम अन्य खेल संस्थाओं की तरह इसके सभी नियमों को मानने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
Rahul Johri, Chief Executive Officer, Board of Control for Cricket in India, on ‘BCCI to now come under the ambit of NADA (National Anti-Doping Agency)’: We have to follow the law of the land & BCCI is committed to follow the law that exists. pic.twitter.com/X0hMOMYcX9
— ANI (@ANI) August 9, 2019
बता दें कि ये फैसला हाल ही में युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ के मामले के संदर्भ में लिया गया है. गौरतलब है कि पृथ्वी शॉ को प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के कारण आठ महीने के लिए क्रिकेट के किसी भी प्रारुप में खेलने पर प्रतिंबधित कर दिया गया था. हालांकि ये आमतौर पर किसी खिलाड़ी को डॉप टेस्ट में फेल रहने पर दी जाने वाली सजा से काफी कम था.
डोप टेस्ट में फेल होने पर पृथ्वी शॉ पर बैन
मामला केवल यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि बीसीसीआई पर इस मामले में पृथ्वी शॉ को बचाने का भी आरोप लगा. कुछ मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक पृथ्वी शॉ से डोप टेस्ट के लिए नमूने फरवरी में ही लिए गए थे जिसकी जांच रिपोर्ट 48 घंटे बाद आ जानी चाहिए थी, लेकिन ये हाल में आया. कहा गया कि पृथ्वी शॉ इंडियन प्रीमियर में खेल सकें इसलिए जानबूझकर रिपोर्ट में देरी की गई. हालांकि आरोपों से इंकार करते हुए कहा गया कि तकनीकी खामियों के कारण रिपोर्ट आने में देरी हो गयी.
आयोजित किया जाता है वर्कशॉप
पृथ्वी शॉ ने डोप टेस्ट में फेल होने के बाद अपने ऊपर आठ महीने के लिए लगे बैन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. उन्होंने कहा था कि मैंने खांसी के इलाज के लिए शिरप ली थी. बता दें कि खिलाड़ियों के लिए ऐसे वर्कशॉप आयोजित किए जाते हैं जिनमें उन्हें बताया जाता है कि कौन सी दवा खानी और कौन सी नहीं. खिलाड़ियों को प्रतिबंधित दवाओं की पूरी लिस्ट भी दिखाई जाती है.