एक्‍सटेंशन ना मिलने से भड़के संजय बांगड़, चयनकर्ता से झगड़ पड़े, BCCI करेगी कार्रवाई, मगर…

नयी दिल्लीः राष्ट्रीय चयनकर्ता देवांग गांधी के साथ कथित तौर पर बदसलूकी के आरोपों पर बीसीसीआई भारत के बर्खास्त बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ से पूछताछ कर सकती है. ऐसा तब होगा जब जब निवर्तमान प्रशासनिक प्रबंधक सुनील सुब्रहमण्यम या मुख्य कोच रवि शास्त्री इस मसले पर आधिकारिक रिपोर्ट दाखिल करेंगे. ऐसी खबरें हैं कि बांगड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2019 1:35 PM

नयी दिल्लीः राष्ट्रीय चयनकर्ता देवांग गांधी के साथ कथित तौर पर बदसलूकी के आरोपों पर बीसीसीआई भारत के बर्खास्त बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ से पूछताछ कर सकती है. ऐसा तब होगा जब जब निवर्तमान प्रशासनिक प्रबंधक सुनील सुब्रहमण्यम या मुख्य कोच रवि शास्त्री इस मसले पर आधिकारिक रिपोर्ट दाखिल करेंगे.

ऐसी खबरें हैं कि बांगड़ ने हाल ही में वेस्टइंडीज दौरे पर गांधी से उनके होटल के कमरे में तीखी बहस की. बांगड़ की जगह अब विक्रम राठौड़ बल्लेबाजी कोच हैं. बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि इन हालात में नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा. सबसे पहले तो बांगड़ ने कथित तौर पर जिनके साथ बदसलूकी की है, उन राष्ट्रीय चयनकर्ता गांधी को आधिकारिक शिकायत दर्ज करनी होगी.

सहयोगी स्टाफ की नियुक्ति की प्रभारी राष्ट्रीय चयन समिति होती है. सहयोगी स्टाफ में से सिर्फ बांगड़ को ही हटाया गया जबकि भरत अरूण (गेंदबाजी कोच) और आर श्रीधर (क्षेत्ररक्षण कोच) को पद पर बरकरार रखा गया है. बीसीसीआई अधिकारियों ने गांधी और बांगड़ की झड़प की पुष्टि की लेकिन उन्हें नहीं लगता कि मामला और आगे बढेगा क्योंकि अब बांगड़ का बीसीसीआई से करार नहीं है.

अधिकारी ने कहा निवर्तमान प्रशासनिक प्रबंधन सुब्रहमण्यम को अपनी रिपोर्ट में इस घटना का उल्लेख करना होगा. इसके अलावा मुख्य कोच रवि शास्त्री को भी लिखित में देना होगा कि ऐसी कोई घटना हुई है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो सीओए के सामने इसे रखने का सवाल ही नहीं होता .

उन्होंने कहा कि बर्खास्त होने पर किसी का भी निराश होना स्वाभाविक है. लेकिन उसे ऐसा क्यों लगा कि उसके कार्यकाल को बढाया ही जायेगा. शास्त्री, अरूण और श्रीधर का प्रदर्शन अच्छा था तो उन्हें बरकरार रखा गया. बांगड़ का प्रदर्शन खराब था तो उसे हटाया गया. अधिकारी ने कहा कि बांगड़ को गांधी से सवाल पूछने ही नहीं चाहिये थे. उन पर चिल्लाने का कोई औचित्य नहीं था.

Next Article

Exit mobile version