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गंभीर का इमरान पर हमला, कहा – यूएन में कर रहे थे ”आतंकियों के रोल मॉडल” की तरह बात

नयी दिल्‍ली : टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्‍लेबाज और भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर जमकर हमला बोला है और उन्‍हें आतंकियों का रोल मॉडल बताया है. गंभीर ने इमरान का खेल समुदाय से बाहर करने की भी मांग कर दी है. उन्‍होंने ट्वीट किया और लिखा, खिलाड़ियों को […]

नयी दिल्‍ली : टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्‍लेबाज और भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर जमकर हमला बोला है और उन्‍हें आतंकियों का रोल मॉडल बताया है.

गंभीर ने इमरान का खेल समुदाय से बाहर करने की भी मांग कर दी है. उन्‍होंने ट्वीट किया और लिखा, खिलाड़ियों को लोगों का रोल मॉडल समझा जाता है. उनके अच्छे व्यवहार के लिए, टीम भावना के लिए, उनके मजबूत व्‍यवहार के लिए.

गंभीर ने आगे लिखा, हाल ही में हमने संयुक्‍त राष्‍ट्र में एक पूर्व खिलाड़ी को बोलते हुए सुना. वह आतंकवादियों के रोल मॉडल की तरह बोल रहे थे. खेल समुदाय को इमरान खान का बहिष्कार करना चाहिए.

* भारत ने इमरान खान के संरा में दिये भाषण पर सुनायी खरी-खोटी

भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर राग अलापने पर पलटवार करते हुए कहा कि उसके नागरिकों को उनकी तरफ से बोलने के लिए किसी भी व्यक्ति की जरूरत नहीं है और कम से कम उन लोगों की तो कतई नहीं जिन्होंने नफरत की विचारधारा से आतंकवाद का कारोबार खड़ा किया है.

खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में पहली बार भाषण दिया और 50 मिनट के उनके संबोधन का आधा वक्त भारत और कश्मीर पर ही केंद्रित रहा. भारत ने शुक्रवार को खान द्वारा दिए गए बयान पर जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तान द्वारा लगाए आरोपों का बचाव करने के वास्ते संयुक्त राष्ट्र में अपने नए राजदूत को आगे किया.

भारत ने कहा, दुर्भाग्य से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से जो भी सुना वह दोहरे अर्थों में दुनिया का निर्मम चित्रण था. हम बनाम वह, अमीर बनाम गरीब, उत्तर बनाम दक्षिण, विकसित बनाम विकासशील, मुस्लिम बनाम अन्य था. एक ऐसी पटकथा जो संयुक्त राष्ट्र में विभाजन को बढ़ावा देती है.

मतभेदों को भड़काने और नफरत पैदा करने की कोशिश जिसे सीधे तौर पर ‘घृणा भाषण’ कहा जा सकता है. महासभा में विरले ही अवसर का ऐसा दुरुपयोग, बल्कि हनन देखा गया हो. उन्होंने कहा, कूटनीति में शब्द मायने रखते हैं. तबाही, खून-खराबा, नस्लीय श्रेष्ठता, बंदूक उठाओ और अंत तक लड़ाई करो जैसे वाक्यांशों का इस्तेमाल मध्यकालीन मानसिकता को दर्शाता है न कि 21वीं सदी की दूरदृष्टि को.

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