नयी दिल्ली : महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में एक सलामी बल्लेबाज की भूमिका के लिए अलग सोच और मानसिकता चाहिए जहां प्रतिभा को प्रदर्शन में बदलने और उसमें निरंतररता बनाये रखने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है.
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में सलामी बल्लेबाज की भूमिका में रोहित शर्मा टीम प्रबंधन के ‘वीरेन्द्र सहवाग मॉडल’ के फैसले पर खरे उतरे, लेकिन तेंदुलकर ने कहा कि क्रिकेट के इस पारंपरिक प्रारूप में नयी गेंद का सामना करने को लेकर मानसिकता की जरूरत होती है.
तेंदुलकर ने खास बातचीत में कहा, यह मानसिकता के बारे में है. अगर कोई पारी का आगाज करना चाहता है तो उसकी मानसिकता अलग तरह की होनी चाहिए. सहवाग के बारे तेंदुलकर ने कहा कि मानसिकता के साथ-साथ सहवाग के पास क्षमता की कोई कमी नहीं थी.
तेंदुलकर ने कहा, सहवाग की मानसिकता अलग तरह की थी. टेस्ट या एकदिवसीय में वह एक ही तरीके से बल्लेबाजी करते थे. उनकी बल्लेबाजी में आक्रामकता हमेशा रही. यह खिलाड़ी की क्षमता पर भी निर्भर करता है.
टेस्ट में 200 मैच खेल कर विश्व रिकार्ड बनाने वाले तेंदुलकर ने कहा, ऐसे कई खिलाड़ी है जो आक्रामक होना चाहते हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल करने के लिए निरंतरता जरूरी है और सहवाग ऐसा करने में सक्षम थे. वह क्रम (सलामी बल्लेबाजी) उसके मुफीद था. (रोहित के लिए) अभी हमें इंतजार करना होगा कि यह योजना कैसे काम करती है.
सलामी बल्लेबाज के तौर पर मानसिकता की बात करते हुए कि सहवाग ने सफलता के साथ बुरा दौर भी देखा था, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने खेलने के तरीकों को नहीं बदला. उन्होंने कहा, सहवाग ने पहली बार इंग्लैंड में पारी का आगाज करना शुरू किया और वह शतक बनाने में सफल रहे. इससे उन्हें सफलता तो मिली लेकिन ऐसा भी समय था जब वह खराब दौर से गुजरे.
ऐसे में हर बार आंकड़े मायने नहीं रखते, लेकिन आप टीम को किस तरह से योगदान देते थे यह जरूरी होता है. टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले इस बल्लेबाज ने कहा कि टीम में बने रहने की सुरक्षा और अपनेपन की भावना खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ लेने के लिए जरूरी होता है.
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आपको में टीम में बने रहने को लेकर आश्वस्त होना चाहिए. अगर आप आंकड़ों को देखेंगे तो आपके साथ यह आश्वासन होना चाहिए. खिलाड़ी को यह लगना चाहिए की खराब प्रदर्शन के बाद भी वह टीम के साथ बना रहेगा.
खिलाड़ी का अच्छा और बुरा दौर आता है, लेकिन जब उन्हें लगता है कि टीम प्रबंधन उसके साथ है तो वह दूसरी मानसिकता के साथ खेलता है. नये खिलाड़ियों में हनुमा विहारी ने मास्टर ब्लास्टर को अपनी प्रतिभा से प्रभावित किया है. उन्होंने कहा, टेस्ट क्रिकेट में आपको अलग तरह से खेलना होता है. यहां असली कौशल की परीक्षा गेंदबाजों के अनुकूल पिच पर होती है और उन्होंने ऐसी परिस्थितियों में आदर्श मानसिकता दिखायी है.
उन्होंने कहा, विहारी सही समय पर सही शाट खेलते है. मैं उनकी एकाग्रता और मानसिकता और दबाव झेलने की क्षमता से प्रभावित हूं. टेस्ट क्रिकेट में आपको कई चीजों की परीक्षा देनी होती है अगर आप ऐसा इसमे सफल होते है तो आपकी शारीरिक हाव भाव बिल्कुल अलग तरह से होते हैं जो मैंने विहारी में देखा है.
तेंदुलकर ने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिन की पारिकल्पना को सही दिशा में उठाया गया कदम बताते हुए कहा कि यह तभी सफल होगी जब पिचें खेल के अनुकूल होंगी. उन्होंने कहा, यह तभी संभव हो सकता है जब पिचों में समानता हो मतलब कि वहां गेंद और बल्ले को बराबर मौका मिले. अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह खेल को प्रभावित करेगा.