नयी दिल्ली : टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और कैब अध्यक्ष सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है. सोमवार को उन्होंने इस पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. गांगुली ने अध्यक्ष पद की होड़ में बृजेश पटेल को पछाड़ दिया है और अब इस पद के लिये अकेले उम्मीदवार हैं.
सौरव गांगुली का क्रिकेट सफर काफी शानदार रहा है. उन्होंने टीम इंडिया में अपनी यात्रा एक शानदार ऑलराउंडर के तौर पर शुरू की, फिर उन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को ऊचांईयों पर पहुंचाया. फिलहाल गांगुली कोलकाता क्रिकेट बोर्ड (कैब) के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं.
* गांगुली का बचपन
सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को चंडीदास और निरुपा गांगुली के घर हुआ था. गांगुली के पिता कोलकाता के जाने-माने धनवान थे, इसलिए उनका बचपन काफी सुख-सुविधाओं में बिता. यही कारण रहा है कि गांगुली को ‘प्रींस ऑफ कोलकाता’ के नाम से भी जाना जाता है.
* भाई स्नेहाशीष ने क्रिकेट खेलने के लिए किया प्रेरित
कोलकाता में फुटबॉल का काफी क्रेज रहा है, इसलिए शुरुआत में सौरव गांगुली का भी फुटबॉल की ओर झुकाव हुआ था, लेकिन उनके बड़े भाई स्नेहाशीष ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया. गांगुली आज क्रिकेट की दुनिया में चमकता सितारा हैं, तो इसके पीछे उनके बड़े भाई स्नेहाशीष का बड़ा नाम है. स्नेहाशीष खुद अच्छे क्रिकेटर थे. उनके प्रयास से ही गांगुली को क्रिकेट अकादमी में दाखिला कराया गया, जबकि उनकी मां इसके खिलाफ थी.
* अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गांगुली की ‘दादागिरी’
सौरव गांगुली का क्रिकेट सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. 11 जनवरी 1996 को गांगुली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे में डेब्यू किया, लेकिन पहला मैच उनके लिए बेहद निराशाजनक रहा और मात्र 3 रन पर आउट हो गये. खराब प्रदर्शन के कारण गांगुली को 4 साल के लिए टीम से बाहर कर दिया गया.
हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 26 मई 1996 को इंग्लैंड के खिलाफ दोबारा टीम में मौका दिया गया. उस मैच में उन्होंने 46 रन की पारी खेली और टीम में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहे. हालांकि इसके बाद भी उनका प्रदर्शन उतार-चढ़ाव वाला रहा. 1997 में गांगुली ने वनडे में पहला शतक जमाया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वनडे कैरियर में 311 मैचों में उन्होंने 22 शतकों की मदद से 11363 रन बनाये.
स्पिनरों के लिए काल और ऑफ साइड के भगवान सौरव गांगुली का टेस्ट कैरियर धमाकेदार रहा. उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 20 जुन 1996 को टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया. पहले ही मैच में गांगुली ने विस्फोटक शतक जमाकर अपना इरादा साफ कर दिया. लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर गांगुली ने 301 गेंदों का सामना किया, जिसमें 20 चौके की मदद से 131 रन बनाये. इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट भी गांगुली ने 136 रनों की पारी खेली और लगातार दूसरा शतक टेस्ट में जमाया. उसके बाद गांगुली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 113 मैचों में 16 शतकों की मदद से टेस्ट में 7212 रन बनाये.
* सचिन-गांगुली की सलामी जोड़ी ने दुनिया में मचाया ‘कोहराम’
सौरव गांगुली के कैरियर को पंख तब लगा जब उन्हें टाइटन कप के दौरान 26 अक्तूबर 1996 को सचिन के साथ दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ओपनिंग करने भेजा गया. बतौर ओपनर गांगुली ने पहले ही मैच में शानदार अर्धशतक जमाया. इसके बाद तो सचिन और गांगुली ने मिलकर वनडे क्रिकेट में तहलका मचा दिया. इस जोड़ी ने 247 वनडे मैचों में 12400 रन बनाये और दुनिया के सबसे खतरनाक ओपनिंग जोड़ी के रूप में रिकॉर्ड बनाया
* गांगुली और जॉन राइट ने टीम इंडिया को संकट से उबारा
सौरव गांगुली ने पूर्व कोच जॉन राइट के साथ मिलकर टीम इंडिया को बेहद मुश्किल दौर से बाहर निकाला और भारत क्रिकेट को दुनिया का बॉस बनाया. गांगुली और जॉन राइट 2000 से 2005 तक टीम इंडिया के साथ जुड़े रहे. यह वो दौर था जब मैच फिक्सिंग का दाग टीम इंडिया पर लग चुका था. खिलाड़ी हताश थे. टीम को एक सूत्र में बांधने वाला कोई दूर-दूर तक नहीं था. उसी समय सौरव गांगुली को टीम का भार सौंपा गया. उन्होंने कोच जॉन राइट के साथ मिलकर टीम को न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि भारत को दुनिया का बादशाह बनाया. गांगुली को भारतीय क्रिकेट का सबसे सफल कप्तानों में शामिल किया जाता है.
* जबरदस्त लीडरशिप
सौरव गांगुली में जबरदस्त लीडरशिप क्वालिटी थी. उन्होंने अपनी इसी क्षमता के आधार पर कई फंसे हुए मैच को निकाला और टीम को जीत दिलायी. गांगुली ने कई क्रिकेटरों को स्टार बनाया. उसमें वीरेंद्र सहवाग का नाम सबसे प्रमुख रूप में सामने आता है. गांगुली ने अपनी जगह वीरु को ओपनिंग कराया. इसके अलावा जब महेंद्र सिंह धौनी शुरुआती दिनामें असफल हो रहे थे, तो उन्हें भी गांगुली ने तीसरे नंबर बल्लेबाजी के लिए उतारा. गांगुली के ये सारे प्रयोग काफी सफल रहे.
* सफल प्रशासक के रूप में गांगुली
सौरव गांगुली न केवल एक अच्छे खिलाड़ी रहे, बल्कि उन्हें एक अच्छे प्रशासक के रूप में जाना जाता है. 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद सौरव गांगुली क्रिकेट प्रशासन से जुड़े. उन्होंने इस क्षेत्र में लाने का श्रेय बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत जगमोहन डालमिया को जाता है. डालमिया के निधन के बाद 2015 में सौरव गांगुली कैब अध्यक्ष चुने गये. तब से अब सौरव गांगुली की अगुवाई में कैब ने कई ऐतिहासिक काम किये.