नयी दिल्ली : बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के सामने नौ महीने के कार्यकाल में कई चुनौतियां होंगी. इनमें से प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं.
समस्या : यह किसी से छिपा नहीं है कि आईसीसी में भारत का रुतबा घटा है और आईसीसी के नये कार्यसमूह में बीसीसीआई का कोई प्रतिनिधि नहीं है. बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के विश्वासपात्र सुंदर रमन द्वारा तैयार किये गए ‘बिग थ्री माडल’ (इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और भारत) के तहत भारत को आईसीसी के राजस्व आवंटन माडल में से 57 करोड़ डालर मिलने थे.
शशांक मनोहर के आने के बाद हालांकि भारत बिग थ्री माडल पर सहमति नहीं बना सका और उसे 2016-2023 सत्र के लिये 29 करोड़ 30 लाख डालर से ही संतोष करना पड़ा जो इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड से 15 करोड़ अधिक है.
सौरव गांगुली को बीसीसीआई प्रतिनिधि के तौर पर आईसीसी से बात करनी होगी. बोर्ड को 40 करोड़ डालर मिल सकते हैं. गांगुली ने प्रेस कांफ्रेंस में भी 37 करोड़ 20 लाख डालर मिलने की बात कही. वैसे अगर एन श्रीनिवासन या सुंदर रमन बीसीसीआई प्रतिनिधि के तौर पर आईसीसी में जाते हैं और बीसीसीआई के पास मत नहीं होते तो टकराव की स्थिति बन सकती है.
2. टी20 विश्व कप 2016 और भावी आईसीसी टूर्नामेंटों को भारत में कर छूट : गांगुली को बीसीसीआई की कानूनी और वित्तीय टीमों से पूरा सहयोग चाहिये होगा क्योंकि आईसीसी भारत में सभी टूर्नामेंटों के लिये कर में छूट चाहती है.
मनोहर ने यह भी चेतावनी दी है कि करों का सारा बोझ बीसीसीआई के सालाना राजस्व पर पड़ेगा. इसका हल यह निकल सकता है कि आईसीसी के प्रसारक स्टार स्पोटर्स को कर का बोझ वहन करने को कहा जायेगा जिसका भारत में पूरा बुनियादी ढांचा है और उसे प्रोडक्शन उपकरण आयात नहीं करने होंगे.
3. घरेलू क्रिकेटरों को भुगतान : भारतीय क्रिकेट के बरसों पुराने इस मसले को गांगुली ने प्राथमिकता बताया है. फिलहाल प्रथम श्रेणी क्रिकेटर को एक लाख 40 हजार रुपये प्रति मैच मिलता है. सत्र के आखिर में बीसीसीआई अपने सालाना सकल राजस्व का 13 प्रतिशत भी उन्हें बांटता है.
एक सत्र में एक घरेलू क्रिकेटर को 25 लाख रुपये मिल जाते हैं तो चार दिवसीय, लिस्ट ए और टी20 मैच खेलता है. अंतराष्ट्रीय क्रिकेटरों की कमाई कहीं ज्यादा है. उन्हें एक टेस्ट के 15 लाख रुपये, वनडे के आठ लाख और टी20 के चार लाख रुपये मिलते हैं. इसके अलावा 20 क्रिकेटरों के सालाना केंद्रीय अनुबंध भी हैं.
4. घरेलू ढांचा : देवधर ट्रॉफी, रणजी ट्रॉफी का ढांचा और अंपायरिंग का स्तर. टूर्नामेंटों की संख्या में कटौती और प्रथम श्रेणी क्रिकेट के लिये बेहतर पिचें.
5. हितों का टकराव : गांगुली खुद इसके भुक्तभोगी रहे हैं और अपने साथियों सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को भी इस विवाद का सामना करते देखा है. इस नियम के तहत एक व्यक्ति एक ही पद संभाल सकता है. इससे क्रिकेट सलाहकार समिति और राष्ट्रीय चयन समिति में अच्छे क्रिकेटरों को लाने के विकल्प कम हो जायेंगे.