डे-नाइट टेस्‍ट : रहाणे बोले – गुलाबी गेंद को थोड़ा रूककर खेलना होगा

इंदौर : भारतीय उप कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मंगलवार को माना कि गुलाबी गेंद से मुकाबला बिलकुल ही अलग तरह का होगा और बल्लेबाजों को लाल गेंद की तुलना में इसे शरीर के थोड़ा करीब और थोड़ा रूककर खेलना होगा. बांग्लादेश के खिलाफ 22 नवंबर से शुरू हो रहे ऐतिहासिक दिन-रात्रि टेस्ट की तैयारियों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2019 5:43 PM

इंदौर : भारतीय उप कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मंगलवार को माना कि गुलाबी गेंद से मुकाबला बिलकुल ही अलग तरह का होगा और बल्लेबाजों को लाल गेंद की तुलना में इसे शरीर के थोड़ा करीब और थोड़ा रूककर खेलना होगा.

बांग्लादेश के खिलाफ 22 नवंबर से शुरू हो रहे ऐतिहासिक दिन-रात्रि टेस्ट की तैयारियों के लिये टेस्ट विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा, मयंक अग्रवाल, मोहम्मद शमी और रविंद्र जडेजा के साथ रहाणे ने बेंगलुरू में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के निदेशक राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में गुलाबी गेंद के साथ अभ्यास सत्र में हिस्सा लिया था.

रहाणे ने गुरूवार से बांग्लादेश के खिलाफ शुरू हो रहे पहले टेस्ट से पहले कहा, हमने दो अभ्यास सत्र में हिस्सा लिया, वास्तव में चार लेकिन इसमें दो गुलाबी गेंद से थे – एक दिन और एक दूधिया रोशनी में – यह रोमाचंकारी रहा. उन्होंने कहा, मैं गुलाबी गेंद से पहली बार खेला था और निश्चित रूप से लाल गेंद की तुलना में यह अलग तरह का मैच था. हमारा ध्यान ‘स्विंग और सीम मूवमेंट’ पर लगा था और साथ ही हम अपने शरीर के करीब खेलने पर ध्यान लगाये थे.

शुरुआती सत्र के बाद रहाणे को महसूस हुआ कि बल्लेबाजों को अपनी तकनीक में जरा सा बदलाव करना होगा. उन्होंने कहा, हमने अभ्यास सत्र के बाद पाया कि लाल गेंद की तुलना में गुलाबी गेंद ज्यादा मुश्किल है. आपको थोड़ा रुककर और शरीर के करीब खेलना होता है. हमने राहुल भाई से बात की थी क्योंकि वह भी वहां थे.

गुलाबी गेंद के साथ दलीप ट्रॉफी के दो सत्र के दौरान शिकायतें आयी थीं कि स्पिनरों को थोड़ी परेशानी हो रही थी. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वे दलीप ट्रॉफी में कूकाबूरा गेंद से खेले थे, जो बहुत अलग चीज है.

एसजी गेंद से मुझे इतना पता नहीं है. हम बेंगलुरू में स्पिनरों के खिलाफ खेले थे और हमें गेंद से अच्छा घुमाव मिल रहा था. हां, लाल गेंद की तुलना में चमक पूरी तरह से अलग होती है, लेकिन इसकी तुलना एसजी गेंद और कूकाबूरा गेंद से करना बहुत मुश्किल है.

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