नयी दिल्ली: 2011 का वर्ल्ड कप. भारत और डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के बीच क्वार्टर फाइनल का मैच खेला जा रहा था. भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए लक्ष्य का पीछा कर रही थी. भारतीय टीम ने आखिरकार जीत हासिल की. इस मैच में मध्यक्रम के बल्लेबाज युवराज सिंह ने जीत का आखिरी चौका जड़ा था. इस मैच के हीरो युवराज सिंह थे. हालांकि भारतीय टीम के सदस्यों सहित सभी लोगों ने ये महसूस किया कि युवराज सिंह मैदान में कई बार खांसते और उल्टियां करते दिखाई दिए. उनको सीने में दर्द भी था. खैर, भारतीय टीम 2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को हराकर विश्व चैंपियन बनी.
कैंसर होने की खबर ने दिया था फैन्स को झटका
विश्व कप खत्म होने के बाद जो खबर सामने आई उसने चैंपियन बनने की खुशी में झटके का काम किया. क्योंकि, खबर युवराज सिंह से जुड़ी थी और शॉकिंग थी. पता चला कि इस स्टार खिलाड़ी को फेफड़े में कैंसर है. युवराज की खांसी और मैदान में उल्टियां करते हुए तस्वीर का कारण यही था. खेल जगत में ये खबर आग की तरह फैली. चर्चाएं शुरू हुईं कि अब क्या होगा. क्या कभी ये स्टार बल्लेबाज मैदान में वापस आ पाएगा. क्या कभी दोबारा हमें युवराज मैदान में गगनचुंबी छक्के लगाते नजर आएंगे या क्या कभी हमें युवराज प्वॉइंट में छलांग लगाकर गेंद रोकते नजर आएंगे. सभी को लगा, शायद अब कभी नहीं.
कैंसर का इलाज कराते युवराज की तस्वीरों आईं
इसी बीच युवराज सिंह की तस्वीरें सामने आईं. अस्पताल के बेड पर लेटे, नाना प्रकार के मशीनों से घिरे युवराज सिंह. नाक में ड्रिप लगी हुई और स्लाइन लगी हुई तस्वीरें. क्रिकेट फैन्स का दिल अपने स्टार को देख कर बैठ गया. युवराज सिंह गंजे हो चले थे क्योंकि कैंसर में की जाने वाली किमोथैरेपी की वजह से ऐसा होता है. बीच-बीच में सचिन तेंदुलकर सहित अन्य खिलाड़ियों की युवराज से मुलाकात करते हुए और हौसला बढ़ाती हुई तस्वीरें भी सामने आती रहीं. लेकिन सबके मन में एक बुझा हुआ सा खयाल था कि अब युवराज कभी मैदान में नहीं लौटेंगे. लेकिन, युवराज ने कहां हार मानना सीखा था. बचपन से ही युवराज ने संघर्ष देखा था. परिस्थितियों ने उनको जीवट बना दिया था.
स्केटिंग में स्टेट चैंपियन हुआ करते थे युवराज
युवराज जब काफी छोटे थे तभी उनके पिता योगराज सिंह और मां शबनम के बीच अलगाव हो गया. युवराज ने यहां अकेलेपन का दंश झेला. नन्हें युवराज को स्केटिंग का शौक था और इस रोमांचक खेल में वो स्टेट चैंपियन भी थे. पर क्रिकेटर रहे पिता योगराज को ये नहीं सुहाया. तो स्केटिंग के जूते फेंक दिए और थमा दिया बल्ला. कहा जाता है कि योगराज ने सीमेंट की पिच बनाकर युवराज को प्रैक्टिस करवाना शुरू किया. बड़े और लंबे कद के तेज गेंदबाज नन्हें युवराज के लिए गेंदबाजी करते. पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने एक वाकये का जिक्र किया था. उन्होंने बताया कि ‘मैं एक बार योगराज पाजी के घर गया. वहां देखा कि एक नौ-दस साल का बच्चा बल्ला थामे नेट में स्टांस लिए खड़ा है. उसे बड़ी उम्र के लड़के गेंदबाजी कर रहे हैं. मैं घबरा गया और योगराज से कहा कि, पाजी की कर रहे हो? मुंडा मर जाएगा’.
ब्रॉड को लगाया था लगातार छह छक्का
युवराज की जीवटता का एक और उदाहरण है. दक्षिण अफ्रीका में पहला टी-ट्वेंटी मैच चल रहा था. भारत और ऑस्ट्रेलिया लीग मैच में आमने सामने थे. मैच के बीच इंग्लैंड के मौजूदा कप्तान एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने युवराज को कुछ कहा दिया. दोनों के बीच जुबानी जंग हुई. फिर तो युवराज कहर बनके टूटे. गाज गिरी तब इंग्लैंड की टीम में नए-नए आए स्टुअर्ट ब्रॉड पर. युवराज ने उनकी छह गेंदो पर छह गगनचुंबी छक्के लगाए. इसी मैच में युवराज ने फास्टेस फिफ्टी लगाने का रिकॉर्ड बना दिया था. तो ये थे युवराज जिन्हें मुश्किलें कभी भी नहीं हरा पाई.
…और जब मैदान में वापस आए युवराज सिंह
युवराज ठीक हुए और वापस आए. दमदार तरीके से वापस आए. साथी खिलाड़ियों और प्रशंसकों ने बाहें पसार अपने सुपरस्टार का स्वागत किया. लेकिन तभी. श्रीलंका के खिलाफ टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप के फाइनल में युवराज 21 गेंदों में केवल11 रन ही बना पाए. उनकी हमेशा इज्जत करने वाले विराट कोहली भी एक समय नॉन-स्ट्राइकिंग एंड पर खड़े होकर झल्लाते दिखे. टीम इंडिया फाइनल में हार गयी और ठीकरा फूटा युवराज सिंह पर. लोगों ने उनके घर पर पत्थर फेंके. हालांकि फिर 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी में युवराज सिंह ने वापसी की. पहले मैच मेें पाकिस्तान के खिलाफ अर्धशतक लगाने के अलावा उन्होंने कई अन्य आकर्षक पारियां खेलीं.
फिर इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू वनडे सीरिज में भारत ने एक बार फिर युवराज-धोनी की जुगलबंदी देखी. युवराज ने इस मैच में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली. उन्होंने 150 रन बनाए. हालांकि, इसके बाद युवराज वैसा प्रदर्शन दोबारा नहीं दोहरा सके और टीम से अंदर बाहर होते रहे. आईपीएल में भी अलग-अलग टीमों ने उन पर मंहगा दाम लगाया लेकिन वो अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए. पिछले साल मुंबई ने उन्हें 2 करोड़ रुपये की बेस प्राइज पर खरीदा था लेकिन वो उन्हें महज कुछ ही मैचों में खेलने का मौका मिला.
इंडियन क्रिकेट के एक युग का अंत ऐसे हुआ
इस साल जब भारतीय टीम इंग्लैंड में विश्व कप खेल रही थी तभी भारत में कुछ घट रहा था. अचानक युवराज सिंह ने ऐलान किया कि वो प्रेस-कांफ्रेंस करने वाले हैं. युवराज अपनी मां और पत्नी हेजल कीच के साथ प्रेस-कांफ्रेंस में आए और संन्यास का एलान कर दिया. उन्होंने सभी को धन्यवाद दिया और प्रशंसकों को इतना प्यार देने के लिए थैंक्स बोला. इसी के साथ इस खब्बू बल्लेबाज के साथ इंडियन क्रिकेट के एक युग का अंत हो गया.
एक नजर युवराज के क्रिकेटिंग करियर पर भी
युवराज सिंह इंडियन टीम की तरफ से 304 एकदिवसीय मैच खेले जिसकी 278 पारियों में उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका मिला. इसमें युवराज सिंह ने 36.5 की औसत से से कुल 8701 रन बनाए. उन्होंने अपने पूरे वनडे करियर में 14 शतक और 52 अर्धशतक लगाए. उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 150 रन रहा जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की घरेलु सीरिज में कटक में खेले गए दूसरे एकदिवसीय मुकाबले में लगाया था.
युवराज ने 40 टेस्ट मैच खेले जिसकी 62 पारियों में 6 बार नाबाद रहते हुए 33.9 की औसत से कुल 1900 रन बनाए. उन्होंने टेस्ट मैचों में 3 शतक और 11 अर्धशतक लगाए. टेस्ट मैचों में युवराज की सर्वश्रेष्ठ पारी 169 रनों की रही.
बिग हीटर युवराज सिंह को 58 मैचों में इंडियन टीम की तरफ से खेलने का मौका मिला. इसकी 51 पारियों में 9 बाद नाबाद रहते हुए युवराज ने 28 की औसत से 1177 रन बनाए. उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी 77 रनों की रही.