चैपल ने कोहली-रोहित की तुलना में गांगुली-तेंदुलकर की जोड़ी को बताया सर्वश्रेष्ठ
नयी दिल्ली : विराट कोहली और रोहित शर्मा एक जोड़ी के रूप में रनों का अंबार लगा रहे हैं, लेकिन जब उच्चस्तर के तेज गेंदबाजों का सामना करने की बात आती है तो पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल का मानना है कि सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी के सामने चुनौती अधिक कड़ी थी. […]
नयी दिल्ली : विराट कोहली और रोहित शर्मा एक जोड़ी के रूप में रनों का अंबार लगा रहे हैं, लेकिन जब उच्चस्तर के तेज गेंदबाजों का सामना करने की बात आती है तो पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल का मानना है कि सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी के सामने चुनौती अधिक कड़ी थी.
चैपल ने ‘ईएसपीएनक्रिकइन्फो’ में अपने कालम में लिखा, यह तर्क दिया जा सकता है कि कोहली और शर्मा भारत के सर्वश्रेष्ठ एकिदवसीय बल्लेबाज हैं. उन्हें चुनौती देने वालों में सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी होगी जिन्होंने 15 वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय गेंदबाजों को परेशानी में रखा.
चैपल ने इसके बाद उदाहरण देकर समझाया है कि गांगुली-तेंदुलकर के समय में कैसे प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय टीम के पास दो अच्छे तेज गेंदबाज थे. उन्होंने लिखा, उन्होंने (तेंदुलकर-गांगुली) ने अपना अधिकतर समय सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी जोड़ियों के सामने पारी का आगाज करते हुए बिताया.
पाकिस्तान के वसीम अकरम और वकार यूनिस, वेस्टइंडीज के कर्टली एंब्रोस और कर्टनी वाल्श, ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रा और ब्रेट ली, दक्षिण अफ्रीका के एलन डोनाल्ड ओर शॉन पोलाक, श्रीलंका के लेसिथ मलिंगा और चमिंडा वास का सामना करते हुए किसी भी बल्लेबाज के कौशल की असली परीक्षा होती है.
चैपल ने इस संदर्भ में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज इमरान खान के कथन का सहारा लिया है जिन्होंने कहा था, ‘आप किसी व्यक्ति की पहचान उसके प्रतिद्वंद्वी को देखकर करते हैं. चैपल ने कहा, विपक्षी की मजबूती को देखते हुए आपको तेंदुलकर और गांगुली का पलड़ा भारी रखना होगा.
हालांकि अगर आप वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें और कोहली को भी तेंदुलकर के समान और शर्मा को गांगुली के समान पारियां दो तो फिर वर्तमान जोड़ी का पलड़ा भारी हो जाता है. इस पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने हालांकि माना कि कोहली और शर्मा सफेद गेंद की सर्वश्रेष्ठ जोड़ी है.
उन्होंने कहा, उनका वनडे और टी20 का संयुक्त रिकार्ड बेहतरीन है. कोहली ने दोनों प्रारूप में 50 से अधिक के औसत से रन बनाये हैं. तेंदुलकर ने बहुत कम टी20 अंतरराष्ट्रीय खेले हैं और जब तक यह प्रारूप लोकप्रिय होता तब तक गांगुली का करियर खत्म हो चुका था.