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”स्विंग के किंग” इरफान पठान ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से लिया संन्‍यास

मुंबई :स्विंग के किंग माने जाने वालेइरफान पठान ने शनिवार को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने की घोषणा की. वह अपने करियर के दौरान अधिकतर समय चोटों से जूझते रहे जिसके कारण अपनी वास्तविक क्षमता दिखाने में भी नाकाम रहे. इस 35 वर्षीय खिलाड़ी का संन्यास लेना तय माना जा रहा था क्योंकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2020 7:04 PM

मुंबई :स्विंग के किंग माने जाने वालेइरफान पठान ने शनिवार को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने की घोषणा की. वह अपने करियर के दौरान अधिकतर समय चोटों से जूझते रहे जिसके कारण अपनी वास्तविक क्षमता दिखाने में भी नाकाम रहे. इस 35 वर्षीय खिलाड़ी का संन्यास लेना तय माना जा रहा था क्योंकि उन्होंने अपना आखिरी प्रतिस्पर्धी मैच फरवरी 2019 में जम्मू कश्मीर की तरफ से सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में खेला था.

उन्होंने यहां तक कि पिछले महीने खुद को आईपीएल के नीलामी पूल में भी नहीं रखा था. बायें हाथ के इस तेज गेंदबाज ने 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड ओवल में भारत की तरफ से पदार्पण किया था. वह बहुत तेजी से गेंदबाजी नहीं करते थे लेकिन दायें हाथ के बल्लेबाजों के लिए स्विंग कराने की नैसर्गिक क्षमता के कारण उन्हें जल्द ही सफलता मिलने लगी और उनकी कपिल देव से भी तुलना की जाने लगी.

ऐसा लग रहा था कि भारत को वह अदद आलराउंडर मिल चुका है जिसकी उसे कपिल देव के संन्यास लेने के बाद तलाश थी. भारत की तरफ से आखिरी मैच अक्टूबर 2012 में खेलने वाले इरफान ने 29 टेस्ट मैचों में 1105 रन बनाये और 100 विकेट लिये. उन्होंने 120 वनडे में 1544 रन बनाने के अलावा 173 विकेट हासिल किये और 24 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 172 रन बनाये और 28 विकेट लिये.

वह विश्व टी-20 चैंपियनशिप 2007 में खिताब जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे और पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था. पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में वह हरभजन सिंह के बाद टेस्ट मैचों में हैट्रिक लेने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज बने थे. उन्होंने कराची मैच में सलमान बट, यूनिस खान और मोहम्मद यूसुफ को आउट करके हैट्रिक बनायी थी.

उन्होंने पर्थ के मुश्किल विकेट पर भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में जीत दिलाने में भी अहम भूमिका निभायी थी. इसके बाद उन्हें चोटों और खराब फार्म से जूझना पड़ा और वह पहले की तरह गेंद को स्विंग कराने में भी माहिर नहीं रहे.

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